विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि 3 बच्चों की मौत हुई, इसका मुझे इतना दुख हुआ कि मैं सोते-जागते सिर्फ यह महसूस करता रहा कि उन बच्चों पर क्या गुजरी होगी. 3 दिन से मैं यही सोचता रहा कि जब पानी भरा होगा तो बच्चों पर क्या गुजरी होगी. क्योंकि 1-2 बार ऐसा हुआ कि नदी में तैरते हुए पानी नाक में भर गया और डूबते-डूबते बचे. कितना ददर्नाक होता है यह. हालांकि हम तो चंद सेकंड में उससे उबर गए, लेकिन उन बच्चों ने 2-3 मिनट इसे झेला होगा. उनके उम्मीदों की आखिरी कड़ी जब टूटी होगी, बचने के लिए वो टेबल पर चढ़े होंगे और जब आखिरी समय आया होगा तो….
मेरे लिए मूल चिंता उस पल का अनुभव करने को लेकर है. इससे मैं काफी दुख में था. ऐसे दुख में मैं उनके पैरेंट्स को जानता नहीं, कैसे उनसे मिलूं. दूसरे जो विद्यार्थी इस समय आंदोलन कर रहे हैं, उनकी सारी बातें जायज हैं. वो जिस उम्र में हैं, जिस गुस्से में हैं, यह भय भी होता है कि अगर मैं उनसे जाकर मिलूं तो शायद वे मेरी बात ना सुनें. LG साहब के साथ मिटिंग में ऐसे कुछ बच्चों से मिलना हुआ. अब वे थोड़े सहज हैं, इसलिए अब लगता है कि आज या कल मैं उन बच्चों से मिल सकूं.
मिटिंग के दौरान हादसे के वक्त वहां मौजूद बच्चों से बातचीत के आधार पर बताया कि पानी एक खास गति से अंदर आ रहा था. बच्चे किताबें लेकर निकल भी रहे थे. इतनी देर में पानी के बहाव से जो एक्जॉस्ट एरिया था, वह भी टूट गया. उसके बाद पानी काफी तेज गति से अंदर आने लगा. बच्चों ने बताया कि कमर तक के पानी से सिर तक जाने में सिर्फ 50 सेकंड लगा.
मिटिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एक कमिटी बनाई गई है, उस कमिटी में उनके साथ दिल्ली के मुख्य सचिव सहित नगर निगम के बड़े-बड़े अधिकारी भी शामिल हैं. आने वाले दिनों में हमलोग मिटिंग करके इस समस्या को जड़ से हल करने की कोशिश करेंगे.
उनसे जब यह पूछा गया कि उनके दृष्टि IAS के मुखर्जी नगर और करोलबाग ब्रांच के छात्र भी प्रदर्शन कर रहे हैं और कुछ छात्र तो उनके घर के सामने भी पहुंच गए. क्या उन्हें लगता है कि उनसे भी चूक हुई है. इस पर उनका कहना था कि कुछ चूक तो हुई है. लेकिन, वो चूक ऐसी नहीं थी कि नीयत हमारी खराब हुई हो. जब उनसे पूछा गया कि आप पर निशाना क्यों साधा जा रहा है तो उन्होंने कहा कि यह सबसे आसान है कि किसी को बलि का बकरा बना दो.