विश्वभूषण हरिचंदन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद की ली शपथ

रायपुर।विश्वभूषण हरिचंदन ने आज राजभवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ के नौवें राज्यपाल के रूप में अपने पद की शपथ ली। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी ने उन्हें शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रथम महिला सुप्रभा हरिचंदन, मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल भी उपस्थित रहीं।

इससे पहले विश्व भूषण हरिचंदन बुधवार को रायपुर पहुंचे। सुबह 9:45 बजे स्वामी विवेकानंद विमानतल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। राज्यपाल को गार्ड आफ आनर देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। राजभवन आगमन पर राजभवन सचिवालय के अधिकारियों -कर्मचारियों ने भी उनका आत्मीय स्वागत किया। इस अवसर पर प्रथम महिला सुप्रभा हरिचंदन और उनके स्वजन मौजूद रहे।
स्वामी विवेकानंद विमानतल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया स्वागत
राज्यपाल ने परंपरागत तरीके से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राजभवन में प्रवेश किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन अनुभवी राजनेता हैं। वह पांच बार विधायक रहे, अनेक विभागों के मंत्री रहे और राज्यपाल के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी। छत्तीसगढ़ को उनके अनुभवों का लाभ मिलेगा।
हरिचंदन पांच बार ओडिशा विधानसभा के लिए वर्ष 1977, 1990, 1996, 2000 और 2004 में चुने गए। उन्होंने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 95,000 मतों से हराया, जिसने ओडिशा में पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए।
हरिचंदन ओडिशा सरकार में चार बार मंत्री रहे। वर्ष 1977, 1990, 2000 तथा 2004 से 2009 तक वे मंत्री बने रहे। वे 1980 में ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष थे और 1988 तक तीन और कार्यकालों के लिए अध्यक्ष चुने गए। वे 13 वर्षों तक यानी 1996 से 2009 तक राज्य विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे।
ओडिशा में भाजपा के संस्‍थापक अध्यक्ष थे हरिचंदन
नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का जन्म तीन अगस्त 1934 में ओडिशा के खोरधा जिले के बानपुर में हुआ। इनके पिता स्वर्गीय परशुराम हरिचंदन एक साहित्यकार, नाटककार और स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता के बाद वे अविभाजित पुरी जिला परिषद के प्रारंभ से लेकर इसके उन्मूलन तक इसके उपाध्यक्ष रहे।
उन्‍होंने एससीएस कालेज, पुरी से अर्थशास्त्र में आनर्स की डिग्री। एमएस ला कालेज कटक से एलएलबी की डिग्री ली है। उनकी धर्मपत्नी सुप्रभा हरिचंदन और दो पुत्र पृथ्वीराज हरिचंदन व प्रसनजीत हरिचंदन हैं। ओडिशा में योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आने वाले वह 1962 में ओडिशा के उच्च न्यायालय बार और वर्ष 1971 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए।
उन्होंने काफी कम समय में अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर एक वकील और एक राजनीतिक नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की।
उन्होंने ऐतिहासिक जेपी आंदोलन में लोकतंत्र के समर्थन की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें आपातकाल के दौरान कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा था। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष के रूप में हरिचंदन ने 1974 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के अधिक्रमण के खिलाफ ओडिशा में वकीलों के आंदोलन का नेतृत्व किया।

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