सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि देश में हजारों मामले होंगे जिस पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन उच्चतम न्यायालय हर चीज में दखल नहीं दे सकता है. न तो हर मामले की सुनवाई कर सकता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच केरल में बंधक बनाकर रखे गए हाथियों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. चीफ जस्टिस अर्जी (इंटरवेंशन एप्लीकेशन) देख खासा नाराज भी हो गए.
क्या है पूरा मामला?
CJI चंद्रचूड़ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं बेवजह सुप्रीम कोर्ट का बोझ बढ़ाती हैं. हमें उच्चतम न्यायालय (High Court) की भूमिका को ढंग से समझने की जरूरत है. सीजेआई ने कहा- यह मामला पूरी तरह स्थानीय है और हाई कोर्ट के जजों को स्थानीय मुद्दों की अच्छी समझ होती है. अगर उच्च न्यायालय से कोई गलती होती है, तब हम इसमें दखल दे सकते हैं. लेकिन इस तरीके से हम देश को कैसे चलाएंगे?
दलील से सहमत नहीं हुए चीफ जस्टिस
Bar&Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाने वाले सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह (Senior Advocate CU Singh) ने जब दलील दी की इस पूरे मामले में नियमों की अनदेखी हुई है तो सीजेआई ने सवाल किया- ”आप इस मामले को केरल हाईकोर्ट के सामने क्यों नहीं उठाते हैं?” इस पर एडवोकेट ने जवाब दिया कि इस मामले से संबंधित और भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित हैं. कहा कि साल 2018 से 2022 के बीच केरल में 135 हाथियों की मौत हो चुकी है.
‘देश थोड़ी चला सकते हैं’
हालांकि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) वकील की दलील से सहमत नहीं नजर आए. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में एक से बढ़कर एक विद्वान जज हैं. सुप्रीम कोर्ट हर मामले में दखल नहीं दे सकता है. हम छोटी-छोटी चीजें थोड़ी मैनेज कर सकते हैं और न तो देश चला सकते हैं.