पिछले दो दिनों से बदली हवाओं की वजह से छाए बादल बरस पड़े हैं। सरगुजा और बिलासपुर संभाग के कई जिलों में रात बूंदाबादी हुई। पेंड्रा और बिलासपुर में सुबह बरसात शुरू हो गई। इसकी वजह से दिन का तापमान अचानक ठंडा हो गया है। आज प्रदेश के मध्य और उत्तर बस्तर के इलाकों में भी बूंदाबादी की संभावना है।
पेंड्रा के मध्य प्रदेश से लगे इलाकों में सुबह से रुक-रुक कर बरसात हो रही है। बिलासपुर के कुछ क्षेत्रों से भी इसी तरह के बरसात की खबर है। इसकी वजह से जन-जीवन प्रभावित हुआ है। लोगों को सामान्य कामकाज में थोड़ी दिक्कत हुई। बरसात की वजह से इन इलाकों में ठंड भी लौट आई है। सरगुजा, सूरजपुर और कोरिया जिले में भी देर रात तक बूंदाबांदी हुई है। वहां के अधिकांश इलाकों में सुबह तक बादल थे। लेकिन अभी वहां धूप खिल चुकी है।
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश में अरब सागर से पश्चिमी हवा और बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त गर्म हवा दक्षिण से आ रही है। छत्तीसगढ़ इन हवाओं का मिलन क्षेत्र बना हुआ है। इसकी वजह से रविवार को मध्य छत्तीसगढ़ सहित बस्तर संभाग के उत्तरी भाग में एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा बूंदाबांदी होने की संभावना है। छत्तीसगढ़ के मध्य-उत्तर क्षेत्रों में शनिवार को दिन भर बादल छाए रहे थे।
अधिकांश केंद्रों पर रात को गर्मी बढ़ी
बादलों की वजह से प्रदेश के अधिकांश केंद्रों पर न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई है। यह सामान्य से एक से 2 डिग्री तक अधिक है। रात का सबसे कम 11.8 डिग्री सेल्सियस तापमान बलरामपुर में दर्ज हुआ है। कोरिया में 13.5, जशपुर में 13.8 और अंबिकापुर में यह 14 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। पेण्ड्रा रोड में भी न्यूनतम तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सामान्य से एक से 1.6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। बिलासपुर में न्यूनतम तापमान 17 डिग्री और जगदलपुर में 17.9 डिग्री सेल्सियस तक रहा। एकमात्र दुर्ग जिले में न्यूनतम तापमान 16.4 डिग्री रहा जो सामान्य से करीब एक डिग्री कम है।
26 फरवरी तक ऐसा ही रहेगा मौसम
मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया, फरवरी का यह मौसम संक्रमण काल जैसा है। इसमें धूप-छांव जैसी स्थिति बनी रहती है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ की जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक 25-26 फरवरी तक मौसम इसी तरह बना रहेगा। बादल आते-जाते रहेंगे। कहीं-कहीं हल्की बरसात हो सकती है। तापमान में बड़ा परिवर्तन नहीं होना है।
इस बरसात में फसलों का रखना हाेगा ध्यान
मौसम में हो रहे बदलाव और बादलों को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों की देखभाल में सावधानी बरतने की हिदायत दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल छाए रहने से चने की फसल में इल्लियों का प्रकोप बढ़ सकता है। अगर ऐसा दिखे तो मौसम साफ होने पर दवा का छिड़काव करें। इस मौसम में सरसों का माहूं लगने की आशंका है। सूरजमुखी में भूरा धब्बा रोग लगने की भी संभावना मौसम की वजह से बढ़ी हुई है। हल्की बरसात वाले इलाकों में गेहूं की सिंचाई की जरूरत नहीं है। गर्मी का धान लगाने वाले किसान एक सिंचाई जरूर कर दें।