नई दिल्ली. चंद्रयान-3 को लेकर इसरो ने तैयारी पूरी कर ली है. आगामी जुलाई के महीने में इसे लॉन्च कर दिया जाएगा. इसरो की तरफ से यह जानकारी दी गई है. अगर सबकुछ योजना के मुताबिक ही हुआ तो भारत स्पेस के क्षेत्र में इतिहास रच देगा. वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. अबतक अमेरिका, रूस और चीन ही चांद की सतह पर मिशन भेज पाए हैं. मिशन चंद्रयान भारत की महत्वाकांक्षी योजना है. चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद बीते चार साल से इसरो के वैज्ञानिकों ने तकनीकी खामियों पर काम किया. जिसके बाद अब चंद्रयान-3 के माध्यम से फिर से चंद्रमा पर चढ़ाई करने की तैयारी की जा रही है.
जिस समय चंद्रयान-3 को भेजा जाना है तभी रूस का चंद्रमा को लेकर मिशन भी शुरू होना था. हालांकि अंतिम वक्त पर बताया गया कि तकनीकी कारणों की वजह से इसे फिलहाल टाल दिया गया है. अब भारतीय मिशन के पास रूस से पहले वहां उतरने का मौका है. इसरो चीफ एम सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को लेकर कहा, “चंद्रयान-2 के दौरान हम सफल नहीं हो पाए. इस बार हम पिछली गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़ रहे हैं. असफलता मिलने का यह मतलब कतई नहीं है कि हम अगली कोशिश ना करें. चंद्रयान-3 से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है. हम जरूर इतिहास रचेंगे.”
चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 में क्या है अलग?
चंद्रयान-3 के तीन हिस्से हैं. पहला है प्रोपल्शन- जिसके तहत चंद्रयान को पृथ्वी से उड़ाकर चांद तक भेजा जाएगा. दूसरे नंबर पर आता है- लैंडर मॉड्यूल. इसके तहत चंद्रयान चांद पर लैंड करेगा. तीसरा और अंतिम मॉड्यूल है रोवर. रोवर एक चार पहिए वाला वाहन है. जो चंद्रमा की सतह पर घूमते हुए वहां की जानकारी जुटाएगा. चंद्रयान-2 के मुकाबले इस मिशन में ऑर्बिटर का इस्तेमाल नहीं होगा. ऑर्बिटर चांद की कक्षा में घूमने वाली सैटेलाइट है. जिसके माध्यम से रोवर जानकारी जुटाकर पृथ्वी तक भेजता है. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में घूम रहा है, जिसका इस्तेमाल किया जाएगा.