जब संसार के सारे दरवाजे बंद हो जाए तो शंकर के दरवाजे जाए : प्रदीप मिश्रा

किसी की दुख की घड़ी में पहुंच गए तो वह जिंदगी भर याद रखेगा

 सातवें दिन श्री एकांतेश्वर महादेव की कथा में लाखों भक्तों ने सुनी

भिलाई।  सिविक सेंटर जयंती स्टेडियम में श्री एकांतेश्वर महादेव शिव महापुराण कथा के छठवें दिन अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सम्पूर्ण जगत को संदेश देते हुए व्यासपीठ की कहा कि रात भर और लगातार तीन दिन बारिश के बावजूद भी लाखों की संख्या में शिव महापुराण कथा में पहुंचना यह महादेव की कृपा से ही संभव है उन्होंने कथा प्रसंग ने कहा कि मनुष्य का जीवन बहुत छोटा है मनुष्य  पहले 100 साल का तक जीवित रहने का गारंटी रहता था लेकिन अब गारंटी नहीं है कोई 30 वर्ष, 40 वर्ष, 50 वर्ष मे शांत हो जाता है। कितने वर्ष तक कौन रहेगा अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।आप गृहस्थ घर ,परिवार में रहे और भगवान शिव की अविरल भक्ति करें आपके पास जितना समय मिले उसमें भगवान का स्मरण करें और प्रत्येक व्यक्ति मे  नारायण बसा हुआ है इसलिए अतिथि देवो भवा: कि हमारी संस्कृति है,ना जाने किस रूप मे नारायण मिल जाए,नारायण का दर्शन हो जाए, ये मानव  के रूप मे भगवान किसी ना किसी के रूप मे भेज देते है। हम उनको जाने या ना जाने या पहचान पाए या ना पहचान पाए, हो सकता है हम मरते दम तक उसको ना पहचान पाए, घर का बुजुर्ग व्यक्ति जब संसार से चला जाता है तब हमें उसके जाने का एहसास होता है ,जो जीवित है उसे पहचानने का प्रयास करें।
 शिक्षा के साथ-साथ संस्कारवान वाले बने बच्चे
भूगोल पढ़कर देश का ध्यान रखें और इतिहास पढ़ कर देश के भक्तों का स्मरण करें पंडित मिश्रा जी ने कहा अच्छी  पढ़कर दुनिया के लोगों को अच्छा देने का प्रयास करें शिक्षित हो लेकिन संस्कारवान नहीं हो तो उसका कोई महत्व नहीं है आप जितने कितने उन्नति की ओर बढ़ते चले जाएं उतना उतना आपके जीवन में नम्रता विनम्रता अपने भीतर लाए पंडित जी ने आगे कहा कि जब हम मां बम्लेश्वरी की मंदिर पर सीड़ियों से चढ़ते हैं तब हम थोड़ा झुक कर चलते हैं तभी हम अपने मंजिल तक पहुंच पाते हैं थोड़ा झुक कर चलना सीखे, झुक कर चलेंगे तो मंजिल तक पहुंच जाएंगे ,आपकी विनम्रता नम्रता आपको बता देगा कि आप की शिक्षा कितनी है।
एक पिता अपने बेटे को सब कुछ दे देता है अच्छी शिक्षा अच्छी गाड़ी अच्छी मोबाइल अच्छा एजुकेशन वह सब कुछ देता है जो उसके पास होता है लेकिन वही बेटा जब बड़ा हो जाता है तो अपने पिता के सामने ही मुंह चलाता है और अपने पिता को अनादर अपशब्द कहता है ऐसे वक़्त से पिता का मन बहुत दुखित होता है।
भगवान शिव शंकर की परिक्रमा से प्रथम पूज्य गणेश भगवान हुए
भगवान शंकर की परिक्रमा गणेश ने किया तो भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने पुत्र को प्रथम पूज्य की वरदान दे दिया जिस पर माता पार्वती ने कहा कि आप की परिक्रमा कभी पूर्ण नहीं नहीं करने का वचन दे ,मां की दृष्टि में बच्चे बराबर होते हैं मां अपने बच्चे में भेद नहीं करती, मां का सदैव आदर सत्कार कर उसका दूध का कर्ज और फर्ज निभाए उन्होंने कहा कि एक दूसरे से आदर सम्मान से वंचित हो रहे हैं लोग।शिव महापुराण की कथा कहती है कि प्रथम पूजा गणेश जी की हुई है ,घर परिवार का एक व्यक्ति जब गलत काम करता है तो उस गांव शहर बदनाम होता है ,उसी तरह से गांव का एक व्यक्ति जब भगवत भजन करता है तो उस गांव का कल्याण हो जाता है ,भगवान सबका भला करें। भगवान की कथा सुनकर जा रहे हैं जैसे मोबाइल का टावर जिस गांव मे नेटवर्क अच्छा रहता है तो टावर की तरह होता है पूरा गांव में नेटवर्क फैला देता है एक टावर ने सबके मोबाइल नेटवर्क दे दिया।
 कलयुग में केवल भगवान का नाम आधार
कलयुग में नाम जपते रहने से  कहा पंडित मिश्रा जी ने कहा कि तुलसीदास जी ने लिखा है कि कलयुग में भगवत नाम का सुमिरन किया जाए भगवान के नाम को आधार माना गया है भजन करो भगवान की, शिव महापुराण कथा कहती है कि भगवान सबको स्वीकार करता है कपड़ा तो रावण भी बदला था,संत का वेश धारण कर सीता हरण किया, कपड़ा बदलने से भगवान नहीं मिलता। निर्मल मन सो मोहि पावा निर्मल मन से भगवान का नाम लेने से भगवान स्वीकार करते हैं ,जैसे माता-पिता की दृष्टि में बच्चा जैसे आ जाए उसे स्वीकार कर लेता है चाहे कीचड़ में लथपथ बच्चे को मां बाप उसे गले से लगा लेते हैं उसी प्रकार भगवान को निर्मल मन से श्री शिवाय नमस्तुभयम का जाप करने से भगवान आपको गले से लगा लेते है। रुद्राक्ष की माला तुलसी की माला गले में धारण करना चाहिए।किसी की दुख की घड़ी में पहुंच गए तो वह जिंदगी भर आपको याद रखेगा।
 शिव शंकर भोलेनाथ अवघड़ी है
शिव की भक्ति में जो सुख है वह दुनिया में कहीं नहीं है ।भगवान शिव शंकर भोले नाथ अवघडी है।  जब संसार के सारे दरवाजे बंद हो जाए तो शंकर के दरवाजे जाए, आपकी आस फिर जग जाएगी, जब सब जगह से हार जाते हैं तो महादेव के पास जाए। एकांतेश्वर महादेव शिव लिंग में जाए और प्राचीन शिव मंदिर में जाएं जिससे तुम्हें बल मिलेंगे ,पंडित मिश्रा जी ने कथा में आगे बताया कि कांवड़ का महत्व बताया और उसका क्या फल मिलता है उन्होंने बताया कि दो दोनों हाथ जब जब कांवर लेकर से समर्पित करते हैं तो भगवान भोलेनाथ हजारों हाथों से उसका फल देते हैं। मनुष्य 84 लाख योनि के चक्कर को काटने का काम शिव महापुराण की कथा करती है , पंडाल में सात दिवस कथा श्रवण यह  एक कल्पवास में निवास करते हैं ।7 दिन की कथा उनके जन्म जन्मों के पाप ताप को काट देता है।
 तीन चीजो पर कंट्रोल रहना चाहिये
तीन चीजें आपके कंट्रोल में होना चाहिए पहला गाड़ी गाड़ी चलाते वक्त आपका कंट्रोल रहना चाहिए, दूसरा वाला लाडी मतलब आपकी पत्नी कंट्रोल में रहे, तीसरा मन सर्वाधिक दुख तकलीफ का कारण मन है बहुत ज्यादा अभिलाषा करके चलने वाले लोग दुखी हो जाते हैं इसलिए अत्यधिक आशा और अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए जो ज्यादा अभिलाष पर आते है उसका मन दुखता है।
 वी आई पी बनकर शिव महापुराण कथा मे नहीं आए
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण की कथा में वी आई पी बनकर ना आए, शिव भक्त बन कर कथा में आए।

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