नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा PSLV-C57/आदित्य-L1 मिशन को लेकर सोमवार को बड़ा ऐलान कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-L1 का प्रक्षेपण 2 सितंबर, 2023 को 11:50 बजे निर्धारित है. इसे श्रीहरिकोटा से भेजा जाएगा. रजिस्ट्रेशन के बाद नागरिकों को श्रीहरिकोटा में लॉन्च व्यू गैलरी से लॉन्च देखने के लिए आमंत्रित भी किया गया है.
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इसरो ने कहा, “आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण, पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय
सूर्य का अध्ययन करने के लिए वेधशाला, 2 सितंबर, 2023 को 11:50 बजे IST श्रीहरिकोटा से लॉन्च होने वाली है. नागरिकों को यहां पंजीकरण करके श्रीहरिकोटा में लॉन्च व्यू गैलरी से लॉन्च देखने के लिए आमंत्रित किया गया है. इसके लिए
https://lvg.shar.gov.in/VSCREGISTRATION/index.jsp पर पंजीकरण की शुरूआत की घोषणा की जाएगी. आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय मिशन होगा.
सूर्य की ओर 15 लाख किमी दूर जाकर स्पेसक्राफ्ट करेगा अध्ययन
सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के आसपास अंतरिक्ष यान को halo orbit में स्थापित किया जाएगा. जो कि पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा. इससे सौर गतिविधियों का अवलोकन करने और वास्तविक समय में अंतरिक्ष मौसम पर उनका प्रभाव को लेकर अध्ययन किया जा सकेगा. अंतरिक्ष यान प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सबसे बाहरी परतों का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लेकर जाएगा.
सूर्य के वायुमंडलीय (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) का अध्ययन, सूर्य की सबसे बाहरी सतह को इलेक्ट्रोमैगनेटिक फील्ड डिटेक्टर्स के जरिए निरीक्षण करना संभव होगा. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सूर्य के क्रोमोस्फेरिक का अध्ययन, कोरोनल हीटिंग, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी, कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन की शुरुआत, और फ्लेयर्स आदि के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी. सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण भी किया जाएगा.