पुणे. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को आज पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार (Lokmanya Tilak National Award) से सम्मानित किया गया. इस समारोह में एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे. पीएम मोदी ने पुणे पहुंचने के बाद लोकमान्य तिलक के नाम से मशहूर स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर में पूजा भी की. दिल्ली से आने के तुरंत बाद पीएम मोदी ने शिवाजी रोड पर प्रसिद्ध गणेश मंदिर का दौरा किया. मंदिर के ट्रस्टियों ने कहा कि वह मंदिर का दौरा करने और पूजा करने वाले पहले सेवारत पीएम बन गए हैं. इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस और ट्रस्टी सुशील कुमार शिंदे सहित अन्य प्रमुख गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे. लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह के मौके पर पीएम मोदी के संबोधन 10 बड़ी बातें ये हैं:
- पीएम मोदी ने कहा कि व्यवस्था निर्माण से संस्था निर्माण, संस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण,और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण होता है. ये विजन राष्ट्र के भविष्य के लिए रोडमैप की तरह होता है. इसी रोडमैप को आज देश प्रभावी ढंग से फॉलो कर रहा है.
- लोकमान्य तिलक ने परंपराओं को भी पोषित किया था. उन्होंने समाज को जोड़ने के लिए सार्वजनिक गणपति महोत्सव की नींव डाली. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और आदर्शों की ऊर्जा से समाज को भरने के लिए शिव जयंती का आयोजन शुरू किया.
- तिलक जी ने उस समय आजादी की आवाज को बुलंद करने के लिए पत्रकारिता और अखबार की अहमियत को भी समझा. अंग्रेजी में तिलक जी ने ‘The Maratha’ नाम का अखबार शुरू किया. मराठी में गोपाल गणेश अगरकर और विष्णु शास्त्री चिपलुनकर जी के साथ मिलकर उन्होंने ‘केसरी’ अखबार शुरू किया.
- लोकमान्य तिलक इस बात को भी जानते थे कि आजादी का आंदोलन हो या राष्ट्र निर्माण का मिशन, भविष्य की जिम्मेदारी हमेशा युवाओं के कंधों पर होती है. लोकमान्य में युवाओं की प्रतिभा पहचानने की जो दिव्य दृष्टि थी, इसका एक उदाहरण हमें वीर सावरकर से जुड़े घटनाक्रम में मिलता है. उस समय सावरकर जी युवा थे, तिलक जी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना. वो चाहते थे कि सावरकर बाहर जाकर अच्छी पढ़ाई करे और वापस आकर आजादी के लिए काम करें.
- लोकमान्य तिलक ने परम्पराओं को भी पोषित किया था. ब्रिटेन में श्यामजी कृष्ण वर्मा युवाओं को अवसर देने के लिए दो स्कॉलरशिप चलाते थे – छत्रपति शिवाजी स्कॉलरशिप और महाराणा प्रताप स्कॉलरशिप. वीर सावरकर के लिए तिलक जी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा से सिफारिश की थी. इसका लाभ लेकर वीर सावरकर लंदन में बैरिस्टर बन सके. ऐसे कितने ही युवाओं को तिलक जी ने तैयार किया.
- एक महान नेता वो होता है जो एक बड़े लक्ष्य के लिए न केवल खुद को समर्पित करता है, बल्कि उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संस्थाएं और व्यवस्थाएं भी तैयार करता है. इसके लिए हमें सबको साथ लेकर आगे बढ़ना होता है. सबके विश्वास को आगे बढ़ाना होता है. लोकमान्य तिलक के जीवन में हमें ये सारी खूबियां दिखती हैं. लोकमान्य तिलक को अंग्रेजों ने जेल में डाला, उन पर अत्याचार हुए. उन्होंने आजादी के लिए त्याग और बलिदान की पराकाष्ठा की. लेकिन साथ ही उन्होंने टीम स्पिरिट के, सहभाग और सहयोग के अनुकरणीय उदाहरण भी पेश किए.
- अंग्रेजों ने धारणा बनाई थी कि भारत की आस्था, संस्कृति, मान्यताएं, ये सब पिछड़ेपन का प्रतीक हैं. लेकिन तिलक जी ने इसे भी गलत साबित किया. इसलिए भारत के जनमानस ने न केवल खुद आगे आकर तिलक जी को लोकमान्यता दी, बल्कि लोकमान्य का खिताब भी दिया. इसीलिए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा. भारत की आजादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका को, उनके योगदान को कुछ घटनाओं और शब्दों में नहीं समेटा जा सकता है.
- मैंने पुरस्कार राशि नमामि गंगे परियोजना के लिए दान देने का निर्णय लिया है. हमें जब कोई अवार्ड मिलता है, तो उसके साथ ही हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ती है. और जब उस अवार्ड से तिलक जी का नाम जुड़ा हो, तो दायित्वबोध और भी कई गुना बढ़ जाता है. मैं लोकमान्य तिलक नेशनल अवॉर्ड 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित करता हूं.
- जो जगह, जो संस्था सीधे तिलक जी से जुड़ी रही हो, उसके द्वारा लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मैं इस सम्मान के लिए हिंद स्वराज्य संघ और आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. ये पुण्यभूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती है. ये चापेकर बंधुओं की पवित्र धरती है. इस धरती से ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले की प्रेरणाएं और आदर्श जुड़े हैं.
- लोकमान्य तिलक जी तो हमारे स्वतंत्रता इतिहास के माथे के तिलक हैं, साथ ही अन्ना भाऊ ने भी समाज सुधार के लिए जो योगदान दिया, वो अप्रतिम है, असाधारण है. मैं इन दोनों ही महापुरुषों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं. आज का ये दिन मेरे लिए बहुत अहम है. मैं यहां आकर जितना उत्साहित हूं, उतना ही भावुक भी हूं. आज हम सबके आदर्श और भारत के गौरव बाल गंगाधर तिलक जी की पुण्यतिथि है. साथ ही आज अन्ना भाऊ साठे जी की जन्मजयंती भी है.