रायपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अरुण साव ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता रद्द हो गई है। वैसे उनकी सदस्यता तभी रद्द हो गई थी जब सूरत की एक अदालत ने राहुल गाँधी को देश के समग्र ओबीसी समाज का अपमान करने के मामले में दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल गाँधी की सदस्यता जाने में भारतीय जनता पार्टी या केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उनकी सदस्यता अदालत के फैसले के साथ ही प्रभावी हो गई थी, बस प्रक्रिया का पालन करते हुए उसे नोटिफाई करना था जिसे लोक सभा सचिवालय ने कर दिया ।
रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो दोषी करार होते ही उसकी संसद या विधान सभा की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो जाती है। 2013 में लिली थॉमस वर्सेज यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय पर मुहर लगाई थी। सजा का ऐलान होते ही पूर्व कांग्रेस के मंत्री वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी मान लिया था कि राहुल गाँधी एक सांसद के तौर पर अयोग्य हो चुके हैं।
राहुल गाँधी की संसद सदस्यता जाने में कांग्रेस पार्टी की भी भूमिका है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी खुद यही चाहती थी कि राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता चली जाए। पवन खेड़ा वाले मामले में केवल 15 मिनट में कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट चली जाती है लेकिन इस मामले में लगभग 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक कांग्रेस पार्टी ने किसी भी अदालत में कोई अपील नहीं की। लोकसभा चुनाव के दौरान 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में बेंगलुरु के पास कोलार में राहुल गाँधी ने देश के ओबीसी समाज और तेली समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और उनके सरनेम को लेकर उनका अपमान किया था। इसको लेकर देश का ओबीसी समाज और तेली समाज काफी आक्रोशित था। अदालत के फैसले ने उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है।
इन चार सालों में ऐसे कई मौके आये जब राहुल गाँधी ओबीसी समाज से माफी मांग कर इस मामले को ख़त्म कर सकते थे लेकिन अपने अहंकार में राहुल गाँधी ने समाज और कोर्ट के द्वारा बार-बार समझाने और माफ़ी माँगने के विकल्प को भी नज़रअंदाज़ किया और लगातार ओबीसी समाज की भावना को ठेस पहुँचाई। राहुल गाँधी ने पूरे ओबीसी समाज का अपमान किया। कल अदालत का फैसला आने के बाद भी राहुल गाँधी और कांग्रेस नेता उस बयान को सही ठहराते रहे और अहंकार में डूबे रहे।
राहुल गाँधी की सदस्यता उनके अहंकार के कारण गई है। राहुल गाँधी की सदस्यता उनके द्वारा देश के ओबीसी समाज के अपमान और माफी न मांगने के कारण गई है। वे अपने आप को देश से बड़ा समझने की भूल कर बैठे हैं। राहुल गाँधी एक सीरियल ऑफेंडर हैं। वे पहले भी कई झूठी बातें बोल चुके हैं। राफेल मामले पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बारे में ही झूठ बोल दिया था जिसके कारण उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी।