नई दिल्ली. भारतीय रेलवे तेजी से प्रोद्योगिकी को अपने रोजमर्रा के काम में बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. नई-नई टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रेनों को अधिक सुरक्षित और तेज किया जा रहा है. साथ ही यात्री सुविधाओं में टेक्नोलॉजी की मदद से लगातार सुधार किया जा रहा है. इसी बीच खबर है कि रेलवे अब अपनी बाकी बची टिकट प्रिटिंग प्रेसों को बंद करेगा. तो क्या आने वाले समय में रेलवे की टिकट प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो जाएगी? निकट भविष्य में इसकी संभावना कम है. दरअसल, संभव है कि रेलवे टिकट छपाई का निजी क्षेत्र के हाथों में सौंप दे.
2017 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसकी मंशा जताई थी और कहा था कि सरकार टिकट प्रिटिंग का काम थर्ड पार्टी यानी निजी क्षेत्र के हाथों में देना चाहती है. खबरों के अनुसार, ऐसा पहली बार नहीं है जब रेलवे प्रिटिंग प्रेसों को बंद करने की योजना बना रहा है. रेलवे के पास कुल 14 प्रिटिंग प्रेस थीं जिसमें से 9 को बंद करने का फैसला पहले ही किया जा चुका है. उसके बाद रेलवे के पास जो 5 प्रिटिंग प्रेस बच गई थीं अब उन्हें भी बंद करने का निर्णय लिया गया है.
जारी किया गया आदेश
रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. बोर्ड के अधिकारी के अनुसार, भायखला (मुंबई), हावड़ा (कोलकाता), शकूरबस्ती (दिल्ली), रोयापुर (चेन्नई) और सिकंदराबाद में मौजूद रेलवे प्रिटिंग प्रेस को बंद किया जाएगा. यहां पर रेलवे के रिजर्व और जनरल दोनों तरह के टिकट की छपाई होती थी. साथ ही कैश रसीद और 46 तरह के मनी वैल्यू वाले दस्तावेज भी यहां छापे जाते थे. आपको बता दें कि इसका आदेश भले ही अभी दिया गया हो लेकिन इन प्रेसों को बंद करने का सैद्धांतिक फैसला तीन साल पहले 2019 में ही ले लिया गया था.
ऑनलाइन टिकटों की बिक्री में उछाल
रेलवे अब अपने टिकट को पूरी तरह से डिजिटल करने की ओर कदम बढ़ाना चाह रहा है. एक खबर के अनुसार, फिलहाल केवल 19 फीसदी टिकट ही काउंटर से खरीदे जा रहे हैं. वहीं, 81 फीसदी टिकटों की बिक्री ऑनलाइन ही हो रही है. यह बहुत बड़ी संख्या है. इसलिए रेलवे को लगता है कि पूरी तरह से डिजिटलीकरण का लक्ष्य हासिल हो सकता है.