नई दिल्ली: रोजाना Russia-Ukraine युद्ध की भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं. लाखों लोग बेघर हो गये हैं. रिफ्यूजी बनने को मजबूर हैं. अपने परिवार से बिछड़ गये हैं. दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी इस युद्ध का असर देखने को मिल रहा है. कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. इन सब के बीच चीन के ताइवान पर हमले की भी आशंका जताई जा रही है. आइये आपको बताते हैं अगर ऐसा हुआ तो इसके क्या परिणाम होंगे?
यूक्रेन की स्थिति से चीन को मिला प्रोत्साहन
गुरुवार को खबर आई है कि US House की मौजूदा स्पीकर Nancy Pelost आने वाले रविवार को ताइवान के दौरे पर होंगी. पद पर रहते हुए यूएस हाउस के किसी स्पीकर का पिछले 25 साल में ये पहला दौरा होगा. जाहिर है इस पर चीन की तीखी प्रतिक्रिया आएगी ही.
चीन दे चुका ऐसा बयान
अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने का ऐलान किया था जिस पर तिलमिलाए चीन ने कहा था कि इन देशों को एक और यूक्रेन जैसा संकट पैदा करने से बचना चाहिए. चीन के इस बयान का क्या मतलब है? क्या वह ताइवान पर हमला करने का प्लान बना रहा है? इस सवाल के जवाब के लिए हमने डिफेंस एक्सपर्ट Col (Retd.) Danveer Singh से बात की तो उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए चीन को ताइवान पर हमला करने का प्रोत्साहन तो मिला है. यूक्रेन पर रूस के हमले को अमेरिका और उसके साथी देश मिलकर भी रोक नहीं पाए. NATO, UN, अमेरिका कोई भी रूस को यूक्रेन पर बमबारी करने से रोकने में सफल नहीं हो पाया. ये सब देखते हुए लगता है कि मौका मिला तो चीन ताइवान पर हमला करने से हिचकिचाएगा नहीं. अमेरिका को भी इस बात का एहसास है. यही कारण है कि अमेरिका की अधिकारी ने बयान दिया था कि चीन, यूक्रेन की स्थिति को लेकर सबक ले रहा है.
यूक्रेन से भी बड़ा संकट हो सकता है पैदा
Russia-Ukraine और China-Taiwan की स्थिति एक जैसी नहीं है. रूस और यूक्रेन की भाषा, संस्कृति सब कुछ अलग है, जबकि ताइवान और चीन की भाषा, संस्कृति सबकुछ एक जैसा है. Col (RETD.) Danveer Singh के मुताबिक यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उससे NATO, US पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. कहने को भले ही ये देश कुछ भी कहते रहें. अगर ताइवान पर चीन हमला करता है तो साउथ कोरिया और जापान के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा. ऐसे में संभावना है कि ये दोनों देश अमेरिका का इंतजार किए बिना ही ताइवान की मदद के लिए अपनी सेना उतार देंगे. इन दोनों ही देशों की सेना दुनिया की ताकतवार सेनाओं में गिनी जाती है. जाहिर है ऐसा होने पर स्थिति यूक्रेन से ज्यादा खतरनाक और गंभीर होगी.
अमेरिका पर कम होता भरोसा!
यूक्रेन में रूस का हमला और अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, हाल ही में हुई ये दो घटनाएं ऐसी हैं जिनसे अमेरिका से दुनिया का भरोसा कम हुआ है. यूक्रेन पूरी तरह तबाह हो गया लेकिन अमेरिका दुनिया को अनाज देने वाले इस देश की रक्षा करने में विफल रहा. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन जिस मदद की उम्मीद वो कर रहे थे उसका इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है. अफगानिस्तान में भी देखा गया कि किस तरह अमेरिका मूकदर्शक बन अफगानिस्तान को तालिबान की गिरफ्त में जाते देखता रहा. दुनिया के सबसे आधुनिक हथियारों और रक्षा तकनीक से लैस अमेरिकी सेना मोटरसाइकिल पर सवार AK-47 हाथ में लिए कुर्ता-पजामा पहने तालिबान के लड़ाकों के सामने कुछ नहीं कर पाई.