मजदूर के बेटे पर्वतारोही अंकित सेन का कमाल, दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे माउंटेन पर लहराया तिरंगा

जबलपुर। माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध संस्कारधानी के पर्वतारोही अंकित सेन (Mountaineer Ankit Sen) ने एक और कारनामा कर दिखाया है. अंकित ने 26 जनवरी को अफ्रीका के सबसे ऊँचे शिखर माउंट किलिमंजारो (Mount Kilimanjaro) में 5 हजार 895 मीटर यानी 19 हजार 341 फीट पर देश का 350 फीट का तिरंगा झण्डा लहराया है. वहां पत्थर पर जय जबलपुर लिखकर संस्कारधानी ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है. जिसके बाद संस्कारधानी पहुंचने पर लोगों ने जमकर स्वागत किया. अंकित का अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट में 8 हजार 848 मीटर की ऊची चोटी में तिरंगा लहराना है. जिसकी अंकित ने तैयारी शुरू कर दी है.

जबलपुर (Jabalpur) जिले के मझौली तहसील के पड़रिया ग्राम में रहने वाले 24 वर्षीय अंकित सेन (Mountaineer Ankit Sen) बेहद छोटे से परिवार से है. B.com तक की पढ़ाई करने वाले अंकित का सपना पुलिस में डीएसपी बनना है. ऐसे परिवार से होने के नाते अंकित के पिता 6 हजार रुपये महीने की मामूली मजदूरी करते हैं. अंकित कहते है कि पर्वतारोही बनना कभी भी उनके लिए आसान नहीं था, फिर भी जिस रास्ते पर उन्होंने कदम रखा है, वह उन्हें दूसरों से अलग बनाता है.

शहर के माउंटेन मैन अंकित सेन (Mountaineer Ankit Sen) ने 2014 से पर्वतारोही के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियां प्राप्त की है. बेसिक और एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स कर अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ रहे माउंटेन मैन अंकित सेन ने 2017 में उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय माउंट जोगिन जिसकी ऊंचाई 6 हजार 116 पर देश का तिरंगा झंडा फहराया. इसके बाद 2022 में हिमाचल प्रदेश के माउंट यूनाम जिसकी ऊँचाई 6 हजार 111 मीटर में देश का तिरंगा फहराया. 19 से 29 जनवरी माउंट किलिमंजारो अफ्रीका में आयोजित माउंटेनियरिंग कैंप में भाग लिया. 23 जनवरी को चलना शुरू किया औऱ गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर पर सुबह 9 बजकर 10 मिनट में देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

ऐसा करने वाले अंकित मध्य प्रदेश के पहले पर्वतारोही बने है. जिसके बाद अब अंकित का सपना है की दुनियां की सब से ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करना है. अंकित सेन ने बताया कि जब वे चोटी में चलना शुरू किया, तो वहां का तापमान माइनस 16 डिग्री था. कम ऑक्सीजन, उनके पैर सुन्न हो गए थे और उनके सिर में भी बहुत दर्द होने लगा था. इसके अलावा वह कई कठिनाइयां आईं, पर हमने हिम्मत नहीं हारी और तिरंगा, लहरा दिया और जबलपुर ही नहीं वल्कि मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है. अंकित का कहना है की उनकी सफलता में सबका सहयोग और दुआएं शामिल थीं. इसलिए वह संस्कारधानी नहीं बल्कि देश का नाम रोशन कर पाए हैं. फिलहाल अंकित संस्कारधानी में करीब 120 से ज्यादा बच्चों को पर्वतारोही बनने की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

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