विश्व खाद्य दिवस : मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से ढाई लाख बच्चों को मिली नई जिंदगी…

 

रायपुर। आज विश्व खाद्य दिवस है. हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस उन लोगों के प्रति विश्व स्तर पर ध्यान केन्द्रित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है, जो भूख से ग्रसित हैं. इस दिन से यह समझना जरूरी है कि लोग अन्न के हर दाने की कीमत को समझे और उसकी बर्बादी रोकने का संकल्प लें, जिससे हर ज़रूरतमंद को खाना मिल सके.

विश्व खाद्य दिवस का इतिहास

16 अक्टूबर को मनाया जाने वाला विश्व खाद्य दिवस 1945 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना की तारीख के सम्मान में वर्ष 1979 में शुरू किया गया था. सदस्य देशों के संगठनों ने 20वें महा सम्मेलन में नवंबर 1979 में वर्ल्ड फूड-डे की स्थापना की, और 16 अक्टूबर, 1981 को इसे मनाने का आह्वान किया.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुपोषण योजना को पूरे राज्य में शुरू किया था. इस योजना के जरिए प्रतिदिन बच्चों और गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को मुफ्त पौष्टिक भोजन इत्यादि देकर कुपोषण व एनीमिया को दूर किया जा रहा है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं.

राष्ट्रीय औसत से कम हुआ आंकड़ा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा चलाए जा रहे कुपोषण मुक्ति का संकल्प लेकर शुरू किये गए इस अभियान ने महज तीन सालों में बड़ी सफलता अर्जित की है. राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-5 के अनुसार राज्य में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत घटकर 31.30 रह गया है, जो राष्ट्रीय औसत 32.10 प्रतिशत से कम है.

दो लाख बच्चे हुए कुपोषण से मुक्त

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन सालों में छत्तीसगढ़ के लगभग दो लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण के चक्र से मुक्त हो चुके हैं. जबकि साल 2019 में इस अभियान के शुरू होते समय कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार थी. इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 48 प्रतिशत की कमी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है.

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