ओस्लो. नाटो के महासचिव और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के नाम की चर्चा नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के लिए सबसे तेज चल रही है. नोबेल नियमों के मुताबिक समिति को प्रस्तुत किये गए नामों की लिस्ट को कम से कम 50 साल तक सीक्रेट के तौर पर रखा जाता है. हालांकि जो लोग इस पुरस्कार के लिए लोगों को नामांकित करते हैं, उनमें किसी भी देश के पूर्व पुरस्कार विजेता, सांसद, कैबिनेट मंत्री और कुछ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शामिल हैं. वे उन नामों का खुलासा करने के लिए स्वतंत्र होते हैं.
अब तक जिन नामों का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया गया है, उनमें से अधिकांश नाम यूक्रेन में चल रहे लगभग एक साल के संघर्ष में शामिल हैं या रूसी राष्ट्रपति के विरोधी हैं. वहीं विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नॉर्वेजियन नोबेल समिति अक्टूबर में इस साल के पुरस्कार की घोषणा कर सकती है. नॉर्वे की ग्रीन पार्टी की एक सांसद, लैन मैरी बर्ग ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) का नाम दिया था. ऐसा माना जा रहा है कि वे कई वर्षों से इस लिस्ट में हैं लेकिन उनके कंपटीशन में युगांडा के वैनेसा नकाटे हैं.
इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन शामिल हैं, जिन्हें यूक्रेन संकट को हल करने के उनके अथक प्रयासों के लिए पाकिस्तान के संसद के ऊपरी सदन के अध्यक्ष द्वारा प्रस्तावित किया गया था. वहीं नॉर्वे के सांसद क्रिश्चियन टायब्रिंग गेजेड ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के तुरंत बाद फेसबुक पर संकेत दिया था कि वह यूक्रेन क राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की को नामित करेंगे. इसके अलावा उन्होंने नॉर्वेजियन जेन्स स्टोलटेनबर्ग को भी प्रस्तावित किया है.
बता दें कि जिन अन्य लोगों को नामित किया गया है, वे जेल में बंद पुतिन विरोधी हैं. उनमें भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अलेक्सी नवलनी, जिन्हें जहर देने की कोशिश की गई थी. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ओस्लो के प्रमुख हेनरिक उरडाल ने कहा कि हालांकि इसकी संभावना नहीं है कि नोबेल समिति 2023 में यूरोसेंट्रिक दिखने के जोखिम के चलते पुतिन पर एक और हमला करेगी.