कवासी लखमा ने मीडिया से चर्चा में शराबबंदी नहीं हो पाने की वजह बताते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान 2 महीने के लिए शराब दुकान बंद कर दिया था, जिसकी वजह से दूसरी शराब पीने से रायपुर और बिलासपुर में 6-6 लोगों की मौत हुई थी. बिहार में शराबबंदी है, जहां 400 आदिवासी गरीब लोग जेल में बंद हैं.
उन्होंने कहा कि जिस दिन छत्तीसगढ़ में दारू बंद होगा, बड़े लोग बिहार-झारखंड से ले आएंगे. गुजरात में घर में पहुंचाकर दारू दिया जा रहा है. यहां भी बड़े लोग यूपी से लाएंगे, आंध्र से लाएंगे. कौन जेल जाएगा, गरीब आदमी… पैसा नहीं पटाता है, तहसीलदार से बात नहीं करता, थानेदार बात नहीं सुनता है. हमको ऐसा राजनीति नहीं चाहिए, जिसमें गरीब जेल जाए. और दूसरा दारू पीकर मरना. हमको ये पसंद नहीं है.
कवासी लखमा ने कहा कि हमारे घोषणा पत्र में शराबबंदी था. हम लोग बोल नहीं रहे हैं. सारे मुद्दों की समीक्षा जनता करती है. भाजपा ने भी 15 लाख देने की बात कही थी, 2 करोड़ को रोजगार देने की बात कही थी, दिया क्या. 35 रुपए डीजल देने की बात कहकर सौ से ऊपर कर दिया. गैस सिलेंडर की कीमत 400 रुपए थी हमारे शासनकाल, आज 12 सौ कर दिया.
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