पटना. मर्चा धान को बिहार में छठे उत्पादन के रूप में जीआई टैग मिल गया है. बिहार के पश्चिमी चंपारण के कई इलाकों में विशेष प्रजाति के मर्चा धान की खेती होती है, जिसमें सुगंध और स्वाद पाया जाता है. इसको लेकर बिहार ही नहीं देशभर में प्रसिद्धि मिली है. मर्चा धान को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से मर्चा धान के उत्पादकों में खुशी है.
मर्चा धान उत्पादक आनन्द सिंह ने बताया कि “जीआई टैग” मिलने से किसानों में खुशी है. अब इसका उत्पादन ज्यादा होगा. इसकी पहचान पूरी दुनिया में होगी, जिससे इसका उत्पादन भी बढ़ेगा और किसनों की आय दुगनी भी होगी.
क्या है मर्चा धान
‘मर्चा धान’ स्वाद के साथ बेमिसाल सुगंध के लिए इसे पहचान जाता है. मर्चा धान बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थानीय रूप से पाए जाने वाले चावल की एक विशेष सुगंधित किस्म है. यह काली मिर्च की तरह दिखाई देता है, इसलिए इसे मिर्चा या मर्चा राइस के नाम से जाना जाता है. इसे स्थानीय स्तर पर मिर्चा, मर्चीया, मारीचौ आदि नामों से भी जाना जाता है. मर्चा धान के पौधे और अनाज में एक अनूठी सुगंध होती है, जो इसे अलग और विशिष्ट पहचान स्थापित करता है.
क्या होता है जीआई टैग?
किसी भी उत्पादन को भौगोलिक सांकेतिक यानी जीआई टैग मिलने से विश्वव्यापी पहचान मिल जाती है. लोग जीआई टैग उत्पादों को क्वालिटी में बेस्ट मानते हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी मार्केटिंग का ज्यादा आसार होते हैं. एक तरीके से देखा जाए तो स्थान विशेष से ताल्लुक रखने वाले उत्पादों को जीआई टैग मिलने से न सिर्फ उत्पाद का निर्यात बढ़ जाता है, बल्कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है.