नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। करीब 4 से 5 घंटे चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि ईवीएम UK-USA में बंद तो भारत में इसका इस्तेमाल क्यों हो रहा है। यूनाइटेड किंगडम-अमेरिका के ईवीएम और भारत के ईवीएम मशीनों में क्या अंतर है।
इसपर आयोग के वकील ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम-अमेरिका के ईवीएम मशीनें नेटवर्क से जुड़ी होती थीं। इससे इनके हैक या उनके प्रभावित होने का अंदेशा था। जबकि भारत की ईवीएम स्टैंडअलोन मशीन है। वह किसी नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती है। विदेशों में ईवीएम निजी कंपनी बनाती थीं पर हिंदुस्तान में इसे पब्लिक सेक्टर कंपनी बनाती है। बाहर वाली ईवीएम में वोट की पुष्टि का सिस्टम नहीं था लेकिन भारत में वीवीपैट के जरिए इसकी पुष्टि हो जाती है।
सुनवाई के दौरान जजों की ओर से यह भी कहा गया कि वीवीपैट की पारदर्शिता को लेकर दलील दी जा रही है पर वह शुरू से ऐसे ही है। मशीन में बल्ब जलता है। वोट की पुष्टि करने के लिए सात सेकेंड का मौका मिलता है। यही उस व्यवस्था को लाने का मकसद था।
…जब जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण को लगा दी फटकार
सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के वकील प्रशांत भूषण आयोग के हर जवाब में किंतु-परंतु निकाल रहे थे। साथ ही हर बात पर अविश्वास जता रहे थे। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा- आप इस तरह हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते। आपकी बातों को हमने विस्तार से सुना। चुनाव आयोग के प्रयासों को भी जाना। आपको भी इसकी सराहना करनी चाहिए। ईवीएम-वीवीपैट मिलान पांच फीसदी होगा, 40 होगा, 50 होगा या कुछ और…चुनाव आयोग को हर बात पर आपको सफाई देने की जरूरत नहीं है। वे लोग काम कर रहे हैं।