‘सरस्वती मां बुद्धि बांट रही थीं तब वो लोग…’, PM मोदी ने इन बुद्धिमानों का जिक्र कर कसा तंज…

PM Modi in Global FinTech Fest: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) शुक्रवार को मुंबई के जियो कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नने भारत में फिनटेक क्रांति को लेकर सवाल उठाने वाले नेताओं पर तंज कसा और कहा कि ये लोग कहते थे कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब सरस्वती मां बुद्धि बांट रही थीं तब ऐसे लोग रास्ते में ही खड़े थे। उन्होंने बताया कि किस तरह से पिछले 10 सालों में फिनटेक में निवेश के जरिए इस सेक्टर में सुधार किया गया है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में फिनटेक की वजह से जो बदलाव आया है, वो टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव बहुत ज्यादा है। गांव और शहर के बीच की दूरी कम हुई है।

मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि आज सपनों की नगरी मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल हो रहा है. उन्होंने कहा कि एक समय था जब लोग भारत आते थे तो हमारी सांस्कृतिक विविधता देखकर हैरान हो जाते थे। अब लोग भारत आते हैं तो हमारी फिनटेक विविधता को देखकर हैरान होते हैं। एयरपोर्ट पर लैंड होने से लेकर शॉपिंग तक भारत की फिनटेक क्रांति चारों तरफ दिखती है। पिछले 10 सालों में फिनटेक सेक्टर में 31 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।

मुझ जैसे चायवाले से पूछा जाता था फिनटेक क्रांति कैसे होगी

प्रधानमंत्री ने भारत में सस्ते मोबाइल फोन, डेटा और जीरो बैलेंस जन धन बैंक खातों का जिक्र किया और फिर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आप लोगों को याद होगा कि पहले कुछ लोग संसद में खड़े होकर पूछते थे। अपने आप को बहुत विद्वान मानने वाले लोग पूछते थे। सरस्वती जब बुद्धि बांट रही थीं तो वह रास्ते में पहले खड़े थे। वो कहते थे कि भारत में बैंक की इतनी शाखाएं, इंटरनेट और बैंक नहीं हैं. यहां तक कि कह देते थे कि भारत में बिजली तक नहीं है। वे कहते थे कि फिनटेक क्रांति कैसे होगी। ये पूछा जाता था और मुझ जैसे चायवाले को पूछा जाता था। मगर आज देखिए एक दशक में ही भारत में ब्रॉडबैंड यूजर 6 करोड़ से बढ़कर 94 करोड़ हो गए हैं। आज 18 वर्ष से ऊपर शायद ही कोई भारतीय हो, जिसकी डिजिटल आइडेंटिटी यानी आधार कार्ड नहीं हो। आज 53 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास जन धन बैंक खाते हो गए हैं। 10 साल में यूरोपियन यूनियन की आबादी जितने लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा है।

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