भाजपा इस बार दिल्ली के चुनाव में बड़ी संख्या में नए प्रत्याशियों पर दांव लगाएगी और लगातार विधानसभा चुनाव हार रहे नेताओं को चुनावी मैदान से बाहर निकालेगी. राजधानी में बदले हुए जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा अपने टिकट निर्धारित करेगी. सर्वे के आधार पर BJP ने तैयारी शुरू कर दी है. 1998 के बाद से भाजपा दिल्ली की सत्ता से बाहर है, पहले कांग्रेस और फिर “आप” ने उसे सत्ता से दूर रखा है, और इस बार भाजपा ने निगम चुनाव में भी “आप” से हार गई है, इसलिए पार्टी ने समय से चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
भाजपा ने प्रदेश चुनाव समिति और घोषणापत्र समिति का गठन किया है, जिसमें दिल्ली के सभी प्रमुख नेताओं को शामिल करने का प्रयास किया गया है और दूसरे दलों के बड़े नेताओं पर भी ध्यान दिया गया है, जिसमें कमजोर भाजपा की स्थिति में बाहरी प्रत्याशियों पर दांव लगाया जा सकता है.
विधानसभा चुनाव के सर्वे में जातीय समीकरण बदले हुए नजर आए हैं और दिल्ली में प्रवासी आबादी लगातार बढ़ रही है. भाजपा इसी आधार पर अपनी रणनीति बनाने में जुटी है, जिसमें उम्मीद से हटकर प्रत्याशी देखने को मिल सकते हैं और जातीय आधार पर सीटों का समीकरण बदल गया है, जिससे भाजपा टिकट वितरण में इसका ध्यान रखेगी, पार्टी सूत्रों के अनुसार, लगातार हार रहे नेताओं को दिल्ली में चुनावी मैदान में नहीं उतारा जाएगा.
PM मोदी ने भी राजनीति में नए चेहरों की वकालत की है, जिसका असर दिल्ली विधानसभा चुनाव में दिखाई दे सकता है. पार्टी के पुराने प्रदेश अध्यक्षों और लोकसभा चुनाव में टिकट कटने वाले दिग्गजों के नाम पर भी चर्चा हो रही है.
मैदान में कुछ दिग्गज को भी उतारने की तैयारी
पार्टी भी अपने पुराने नेताओं को मैदान में उतारने की योजना बना रही है, जैसे दक्षिणी दिल्ली से सांसद रहे रमेश बिधूड़ी और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा, जो विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. रणनीतिकारों का मानना है कि बड़े नेताओं को लड़ाने से उनकी सीटों पर माहौल बनेगा, इसलिए कुछ सीटों पर दिग्गजों को उतारने का विचार चल रहा है.
अगले महीने भाजपा जारी कर सकती है दिल्ली के लिए घोषणापत्र
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और रविवार को पार्टी नेताओं ने बताया कि पार्टी दिसंबर के मध्य तक चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर सकती है. दिल्ली भाजपा की चुनाव समन्वय समिति और घोषणापत्र समिति की पहली बैठक पार्टी कार्यालय में हुई. संयोजक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने बताया कि घोषणापत्र समिति सोमवार को समाज के विभिन्न वर्गों के साथ बैठकें शुरू करेगी, जिसमें लगभग 50 श्रेणियों के लोगों को शामिल करने का लक्ष्य है.
भाजपा में कुछ लोग चाहते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को केजरीवाल के खिलाफ विधानसभा चुनाव में उतारा जाए, लेकिन नई दिल्ली से 2024 में लोकसभा का चुनाव जीतने वाली बांसुरी स्वराज भी भाजपा के लिए एक विकल्प है. बांसुरी स्वराज ने युवाओं और महिलाओं में बड़ी लोकप्रियता हासिल की है और वह आम आदमी पार्टी पर कई मुद्दों पर हमलावर रही है. इसके अलावा, मनोज तिवारी, जो तीन बार लोकसभा का चुनाव जीता था, को भी भाजपा केजरीवाल के खिलाफ उतार सकती है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट नहीं मिलने वाले सांसदों को विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट मिलेगा.