युक्तियुक्तकरण को लेकर कांग्रेस ने प्रेसवार्ता में प्रदेश सरकार को अनुपलब्धियां गिनाई
राजनांदगांव। प्रदेश की भाजपा सरकार 10463 स्कूल बंद करने जा रही और शिक्षा विरोधी व रोजगार विरोधी कदम है को लेकर आज 6 जून को प्रेसवार्ता लेकर भाजपा सरकार पर कई निशान साधे। प्रेसवार्ता को रायपुर के पूर्व महापौर व सभापति प्रमोद दुबे ने लेते हुए कहा कि सीधे कहा जाए तो सरकार युक्तिकरण कर 45000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त कर रही है, जिसका कांग्रेस संगठन विरोध करती है। युक्तियुक्तकरण रोजगार विरोधी, शिक्षा विरोधी कदम है। इससे प्रदेश में 45000 से अधिक शिक्षकों के पद समाप्त हो जायेंगे। 10463 स्कूल सीधे तौर पर बंद कर दिये गये है, नये सेटअप के नाम पर स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों की संख्या में कटौती करके शिक्षकों के हजारों पद खत्म कर दिया गया है। रमन सरकार के दौरान भी प्रदेश में 3300 से अधिक स्कूलों को बंद किया गया था, 12000 शिक्षकों के पद को खत्म किया गया था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में प्राइमरी स्कूलों में 21 छात्रों के बीच एक शिक्षक है, इन अनुपात को बढ़ाकर 30 छात्र प्रति शिक्षक और इसी तरह मीडिल में 26 छात्र प्रति शिक्षक के रेसियों से बढ़ाकर 35 छात्र प्रति शिक्षक किया जा रहा है। जिससे शिक्षकों के एक तिहाई पद खत्म हो जायेंगे। नये शिक्षकों की भर्तियां न करनी पड़ी इसलिए युक्तियुक्तकरण कर रही साय सरकार। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षडयंत्र रचा है। साय सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा।
श्री दुबे ने कहा कि शिक्षकों की नई भर्तियां न करनी पड़े इसलिए साय सरकार शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर रही है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने साय सरकार ने षडयंत्र रचा है। प्राथमिक शालाओं में पहली व दूसरी में तीन-तीन विषय एवं तीसरी, चौथी, पांचवीं में चार-चार विषय के अनुसार कुल 18 विषय होते है, जिन्हें वर्तमान समय में तीन शिक्षकों को 40 मिनट का 6-6 कक्षा लेना होता है। अब युक्तियुक्तकरण के नए नियम के बाद दो ही शिक्षकों के द्वारा 18 कक्षाओं को पढ़ाना कैसे संभव हो सकता है! मिडिल स्कूल में तीन क्लास और 6 सब्जेक्ट इस हिसाब से कुल 18 क्लास और 60 बच्चों की कुल संख्या में एचएम और उसके साथ केवल एकमात्र शिक्षक कैसे 18 क्लास ले पाएंगे! इसके अतिरिक्त मध्यांह भोजन की व्यवस्था डाक का जवाब और अन्य गैर शिक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर रहेगी।
पूर्व महापौर श्री दुबे ने सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि स्कूलों को जबरिया बंद किए जाने से न केवल शिक्षक बल्कि उन 10463 स्कूलों से संलग्न हजारों रसोईया, स्लीपर और मध्यांह भोजन बनाने वाली महिला, स्वसहायता समूह की बहनों के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो गया है। नए सेटअप के तहत सभी स्तर प्राइमरी, मीडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में कटौती के चलते युवाओं के लिए नियमित शिक्षक के पद पर नई भर्ती के अवसर भी कम हो जाएंगे, शिक्षा के स्तर पर बुरा असर पड़ना निश्चित है। अधिनायकवादी भाजपा सरकार ने इतना बड़ा अव्यवहारिक निर्णय लेने से पहले ना प्रभावित वर्ग से चर्चा की, न ही प्रदेश के भविष्य के बारे में सोचा। इतना बड़ा निर्णय थोपने से पहले न शिक्षक संगठनों की राय ली गयी, न पालक संघ से पूछा गया, न ही शिक्षाविद और छात्र संगठनों से कोई चर्चा की गयी। सरकार के इस शिक्षा विरोधी फैसले के खिलाफ पूरे प्रदेश में आक्रोश है। कांग्रेस इसके खिलाफ जमीनी लड़ाई लड़ेगी अब सभी जिलों एवं ब्लॉकों में आंदोलन चलायेंगे, शीघ्र ही आंदोलन का कार्यक्रम, तिथि और स्वरूप की घोषणा होगी। उक्त प्रेसवार्ता में प्रमुख रूप से वरिष्ठ कांग्रेसी श्रीकिशन खंडेलवाल, कमलजीत सिंह पिन्टू, अजय अग्रवाल, ग्रामीण अध्यक्ष भागवत साहू, जिपं सदस्य विभा साहू, महेन्द्र यादव, शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष शारदा तिवारी, पंकज बांधव, महामंत्री अमित चंद्रवंशी, हनी ग्रेवाल, दक्षिण ब्लॉक अध्यक्ष सूर्यकांत जैन उपस्थित थे।