भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, ISS के लिए हुए रवाना, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय

Shubhanshu Shukla Axiom-4 Mission LIVE: भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया है। भारतीय गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिअम मिशन 4 के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, यानी ISS के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी स्पेस स्टेशन जा रहे हैं। राकेश शर्मा के 41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जा रहा है। वहीं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचते ही शुभांशु ISS पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष (Indian Astronaut) यात्री बन जाएंगे।

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अपने साथियों के साथ भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरी। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट करीब 28.5 घंटे के बाद 26 जून को शाम 04:30 बजे ISS से जुड़ेगा।

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अपने साथियों के साथ भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल से उड़ान भरी। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट करीब 28.5 घंटे के बाद 26 जून को शाम 04:30 बजे ISS से जुड़ेगा।

6 बार टाला गया था एक्सियम-4 मिशन

तारे भी हासिल किए जा सकते हैं…’, मिशन की लॉन्चिंग से पहले बोले शुभांशु शुक्ला

लॉन्चिंग से पहले शुभांशु शुक्ला ने कहा, “मैं भारत के लोगों से कहना चाहता हूं कि यह मिशन एक मील का पत्थर है और मैं भारत से इस मिशन की सफलता के लिए प्रेयर करने की गुजारिश करता हूं. यहां तक ​​कि तारे भी हासिल किए जा सकते हैं। शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना में ग्रुप कैप्टन के रूप में काम करते हैं। अंतरिक्ष में अपनी सबसे प्रतीक्षित और चुनौतीपूर्ण उड़ान के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वहीं, पूरा देश लॉन्चिंग का इंतजार कर रहा है।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला?

शुभांशु का जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से की। वह 2006 में वायु सेना में शामिल हुए और फाइटर जेट्स उड़ाने का अनुभव रखते हैं।

उन्हें ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्होंने रूस और अमेरिका में खास ट्रेनिंग ली। इसमें उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में काम करना, इमरजेंसी हैंडलिंग, और वैज्ञानिक प्रयोग सीखे।

  1. 29 मई को ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के तैयार नहीं होने के कारण लॉन्चिंग टाल दी गई।
  2. इसे 8 जून को शेड्यूल किया गया। फाल्कन-9 रॉकेट लॉन्च के लिए तैयार नहीं था।
  3. नई तारीख 10 जून दी गई। फिर से इसे मौसम खराब होने की वजह से टाला गया।
  4. चौथी बार 11 जून को मिशन शेड्यूल किया गया। इस बार आक्सीजन लीक हो गई।
  5. नई तारीख 19 जून दी गई। मौसम की अनिश्चितता, क्रू मेंबर्स की सेहत के कारण टल गया।
  6. छठी बार मिशन को 22 जून के लिए शेड्यूल किया गया। ISS के ज्वेज्दा सर्विस मॉड्यूल के मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था। इसलिए मिशन टल गया।

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