बस्तर दशहरा की एक और परंपरा : कुंटुब जात्रा में देवी-देवताओं को दी गई ससम्मान विदाई

जगदलपुर। बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक दशहरा पर्व की एक और महत्वपूर्ण रस्म कुंटुब जात्रा की परंपरा आज पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ निभाई गई। इस रस्म के तहत बस्तर राजपरिवार और ग्रामीणों की अगुवाई में संभाग के विभिन्न अंचलों से दशहरा पर्व में शामिल हुए ग्राम देवी-देवताओं को ससम्मान विदाई दी गई।

शहर के गंगामुंडा वार्ड स्थित पूजा स्थल में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। इस दौरान अपनी-अपनी मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रूप से बकरा, कबूतर और मुर्गा की बलि अर्पित की। वहीं दशहरा समिति की ओर से सभी देवी-देवताओं के पूजारियों को रूसूम देकर सम्मानपूर्वक विदा किया गया। राजमहल के प्रतिनिधि और दशहरा समिति के सदस्य पारंपरिक ढंग से प्रत्येक ग्राम देवी-देवता के छत्र और डोली का स्वागत करते हैं और समापन पर उन्हें वस्त्र, मिठाई और दक्षिणा भेंट कर आभार व्यक्त करते हैं।

कुंटुब जात्रा की यह रस्म दरअसल बस्तर की उस जीवंत परंपरा का प्रतीक है, जो रियासतकाल से चली आ रही है और आज भी पूरे आदर और अनुशासन के साथ निभाई जाती है।

error: Content is protected !!