श्रीलंका में चीनी जहाज की एंट्री से टेंशन में क्यों है भारत? ये हो सकते हैं 5 कारण

भारत और अमेरिका की चिंताओं के बीच चीन का जहाज श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर पहुंच गया है। ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीक से लैस युआंग वांग 5 नाम के इस जहाज को लेकर चर्चाओं का लंबा दौर चला। खबरें थी कि श्रीलंका ने बंदरगाह पर लाने की अनुमति नहीं दी है, लेकिन बाद में चीन को इजाजत मिली और यह हम्बनटोटा पहुंच गया। अब सवाल उठता है कि इन गतिविधियों से भारत क्यों चिंतित है? पांच संभावित कारणों को समझते हैं।

ट्रैकिंग
पहला, युआंग वांग 5 इस तरह के सैंसर मौजूद हैं, जो भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकते हैं। भारत की तरफ से मिसाइल्स की टेस्टिंग ओडिशा तट के पास अब्दुल कलाम द्वीप पर किया जाता है।

अब तक का सफर
अब एक वजह इसकी अवधि हो सकती है। दरअसल, यह जहाज 22 अगस्त तक बंदरगाह पर आपूर्तियां से जुड़े कामों के चलते रहेगा। अब खास बात है कि 14 जुलाई को चीन से रवाना होने के बाद यह किसी भी बंदरगाह पर नहीं रुका और हम्बनटोटा पहुंचा।

समुद्र में गतिविधियां
खबर है कि चीन का यह जहाज समुद्र में सर्वे भी कर सकता है, जिसके चलते उसे हिंद महासागर में सबमरीन से जुड़े ऑपरेशन में मदद मिले। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2021 में चीनी सरकार का सर्वे शिप भी इसी क्षेत्र में काम कर रहा था और वह सुमात्रा के पश्चिम में एक खास खोजी पैटर्न को अंजाम दे रहा था।

पुरानी हैं चिंताएं
साल 2014 में भी चीन की एक न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन श्रीलंका के एक बंदरगाह पर पहुंची थी। खास बात है कि उस दौरान इसके चलते भारत और श्रीलंका के रिश्तों में भी खटास आ गई थी। उस दौरान श्रीलंका ने कहा था कि जहाज को अपना ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) बंद नहीं करेगी और इसे साइंटिफिक रिसर्च की भी अनुमति नहीं होगी। श्रीलंका की पोर्ट अथॉरिटी ने यह भी कहा था कि हम्बनटोटा बंदरगाह का काम चीनी कंपनी देखती है, लेकिन संचालन संबंधी मुद्दों को अथॉरिटी ही संभालती है।

देशों के रिश्ते
विकास कार्य के लिए गए कर्ज को नहीं लौटाने में असफल होने के बाद हम्बनटोटा को 99 साल के लिए चीन को लीज पर दे दिया गया था। अब भारत के लिए भी चिंता का मुद्दा यह बंदरगाह ही है। लीज पर दिए जाने के बाद इसके सैन्य इस्तेमाल को लेकर भी चिंताएं बढ़ीं। अब अगर आपसी रिश्तों को देखें तो भारत और श्रीलंका के मुख्य लेनदार चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। वहीं, मुश्किल हालात से गुजर रहे श्रीलंका को भारत लगातार मदद पहुंचा रहा है।

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