एक तरफ जब आम आदमी पार्टी (आप) के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम कथित शराब घोटाले के सबूत तलाश रही थी तो दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उपजी पार्टी ‘नई जंग’ का ऐलान कर दिया। देश की सत्ता के लिए 2024 में होने जा रहे मुकाबले के लिए ‘आप’ ने अपने संयोजक अरविंद केजरीवाल का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में कर दिया है। पहले भी कुछ संकेत दे चुकी पार्टी ने अब खुलकर कह दिया है कि केजरीवाल ही मोदी के विकल्प बन सकते हैं। 2024 का चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल होने जा रहा है।
पहली नजर में कोई इसे सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की छापेमारी को लेकर आक्रोश में कही गई बात भी समझ सकता है। लेकिन जिस तरह 24 घंटे में तीन बड़े नेताओं इस बात को दोहराया उसके बाद किसी के मन में इस बात की शंका नहीं रहनी चाहिए कि केजरीवाल 2024 के दंगल में मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वाले हैं। पार्टी के संस्थापक सदस्य और राज्यसभा सांसद संजय सिंह, राघव जड्ढा और खुद मनीष सिसोदिया ने इस बात का ऐलान कर दिया है। ‘आप’ के ऐलान के बाद से राजनीतिक जानकार इसके मायने भी तलाशन में जुट गए हैं।
बनने से पहले टूट गई विपक्षी एकता?
2024 में कौन किसको टक्कर देगा, किसकी जीत होगी और किसकी हार यह तो 2 साल बाद तय हो पाएगा, लेकिन फिलहाल यह साफ है कि मोदी को हराने के लिए जिस विपक्षी एकता की बात की जा रही थी वह बनने से पहले बिखरती दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आप ने की घोषणा कहीं ना कहीं भाजपा के लिए राहत होगी। भगवा दल इस बात से राहत महसूस कर सकता है कि मुकाबला अभी से त्रिकोणीय हो चुका है, जबकि कांग्रेस राहुल गांधी को, टीएमसी ममता बनर्जी को, जेडीयू, आरजेडी नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए दावेदार मानती है। यदि कांग्रेस के नेतृत्व में ममता, नीतीश जैसे दावेदार एकजुट हो भी जाते हैं तो विपक्ष से बिना किसी विचार-विमर्श के ‘आप’ के एकतरफा ऐलान ने यह तय कर दिया है कि मुकाबले में कम से कम तीन फ्रंट तो होंगे ही।
विपक्षी खेमे में मचेगी होड़
लोकसभा चुनाव में अभी दो साल की देरी है। राजनीतिक दलों ने अभी से इसकी तैयारी भले ही शुरू कर दी है, लेकिन इशारों में दावेदारी के अलावा किसी दल ने ‘आप’ की तरह खुलकर ऐलान नहीं किया था। कुछ जानकारों का मानना है कि केजरीवाल की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद से दूसरे दलों में भी अपने-अपने नेता के नाम के ऐलान की होड़ मच सकती है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा के लिए रास्ता आसान हो सकता है।
क्या कह रही है बीजेपी
हालांकि, भाजपा ‘आप’ के ऐलान को काफी हल्के में ले रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल को मिली करारी हार का उदाहरण दिया जा रहा है। केजरीवाल भले ही करीब एक दशक से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में यहां उसका खाता तक नहीं खुल सका। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को प्रेस कॉन्फेंस में इसकी ओर इशारा करते हुए कहा कि पहले भी वह चुनौती दे चुके हैं और नतीजा देख चुके हैं। उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश में सीना ठोक-ठोक के अरविंद केजरीवाल कहते थे कि पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे, उत्तराखंड में कहते थे लेकिन खाता नहीं खोल पाए। जमानतें जब्त होती चली गई। गुजरात और हिमाचल में खाता नहीं खोल पाएंगे। शराब नीति में केजरीवाल और सिसोदिया हिट विकेट हो गए हैं।”