सरपंचों की हड़ताल से ग्राम पंचायतों में विकास शून्यता की स्थिति

 

राजनांदगांव (दैनिक पहुना)। दो सूत्रीय मांगों को लेकर अधिकारी कर्मचारी संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।अब छत्तीसगढ़ के सरपंच अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले चार दिनों से आंदोलनरत है। इन हड़ताल की वजह से विपक्षी भाजपा को सियासत करने का अधिकार मिल गया हैं। विपक्ष लगातार प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं। अब राजनांदगांव जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर हड़ताल कर रहे सरपंचों के जरिए निशाना साधा है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि सरपंच साथी भी आज हड़ताल करने को मजबूर है। ग्राम पंचायतों में विकास शून्यता की स्थिति है। भारत सरकार से ग्राम पंचायतों को 15 वे वित्त की राशि सीधे दी जाती हैएइस पर उनका मौलिक अधिकार है लेकिन आप पंचायतों की जरूरत अनुसार उनका भी उपयोग करने नहीं दे रहे हैं। गौठान के नाम पर आपके ठेकेदार और आधिकारी उसका बंदरबांट कर रहे हैं। प्रदेश को विकास शून्यता और ठेकेदारी से बाहर लाइये। जब पंचायती राज व्यवस्था की रीढ़ सरपंच ही हड़ताल और धरने पर बैठने को मजबूर है तो प्रदेश का क्या होगा सी एम साहब। बता दें कि सरपंचों ने की मांग की है कि सरपंचों और पंचों के मानदेय में वृद्धि कर 2 से 5 हजार किया जाए।सरपंचों का पेंशन 10 हजार रुपए दिया जाय। 50 लाख तक सभी कार्यों में कार्य एजेंसी पंचायतों को बनाया जाए। सरपंच निधि के रूप में 10 लाख रुपए दिया जाएए नक्सलियों के हमले में सरपंचों को मारे जाने पर 20 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए। 15 वें वित्त की राशि अन्य मद मे अभिसरण नहीं किया जाए। 15 वे वित्त की राशि जनपद जिला सदस्य द्वारा अपने क्षेत्र में दिया जायए नरेगा सामग्री राशि भुगतान हर 3 महीने में किया जाएए सरपंच व पंचों का कार्यकाल 2 वर्ष बढ़ाया जाएए ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास की राशि 2 लाख रुपए करते हुए तत्काल राशि की जाए एसरपंचों के अविश्वास प्रस्ताव अधिनियम और धारा 40 में संशोधन जैसे अन्य मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे।

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