बस्तर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी कोटे के आरक्षण को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने के लिए सर्व आदिवासी समाज ने एसएलपी दायर की है, इस मामले में 18 नवंबर को इसकी सुनवाई होनी है। सर्व आदिवासी समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में स्टे दे देता है तो ठीक है, वरना समाज राज्य सरकार से इस संबंध में बात कर सरकार पर दबाव बनाएंगे।
सर्व आदिवासी समाज के संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर की माने तो हाई कोर्ट द्वारा आदिवासियों के आरक्षण में कमी किए जाने का दोषी भाजपा और कांग्रेस दोनों हैं, हालांकि इस मामले में सर्व आदिवासी समाज राज्य सरकार के प्रति नरमी बरत रहा है, प्रकाश ठाकुर ने बताया कि आरक्षण के मुद्दे पर वर्तमान सांसद और विधायकों का सहयोग मिल रहा है, ऐसे में सरकार के खिलाफ हो रहे भाजपा के प्रदर्शन को उचित नहीं कहा जा सकता।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आरक्षण का जिन्न बाहर आ गया है, इस बार आरक्षण का जिन्न अपने अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि घटाने के लिए आया है, पूर्ववर्ती रमन सरकार ने साल 2012 में आरक्षण की सीमा को 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी कर दिया था जिसे हाइकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है।