रायपुर। आबकारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि वे इस्तीफा दे देंगे। लेकिन शर्त ये है कि पीएम मोदी ने अडाणी मामले में एक शब्द भी बोला हो। उन्होंने कहा कि मोदी ने अब तक एक शब्द नहीं बोला। मप्र में, दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए जाने पर कहा कि इनका यही काम है। कभी चीता लाओ, कभी पंडित।
कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने शुक्रवार को पूछा कि नरेंद्र मोदी सरकार अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने से क्यों ”डर” रही है? माकन ने जोर देकर कहा कि हवाई अड्डे और बंदरगाहों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को एक कंपनी को सौंपने का मुद्दा देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है। उन्होंने कहा कि अडाणी समूह के साथ भाजपा-शासित केंद्र के ‘सौदे’ से ‘सांठगांठ वाले पूंजीवाद’ की बू आती है और इससे ‘सरकार- प्रायोजित निजी एकाधिकार’ का निर्माण होता है। उन्होंने दावा किया कि अडाणी जैसी कंपनी को हवाई अड्डों और बंदरगाहों का नियंत्रण देना ”हमारे देश के लिए सबसे बड़ा खतरा” है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अडाणी समूह देश की बंदरगाह क्षमता का 30 प्रतिशत और कंटेनर क्षमता का 40 प्रतिशत उपयोग करता है। उन्होंने पूछा, ”कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार से पूछना चाहती है कि वह इस मुद्दे पर जेपीसी गठित करने से क्यों डरती है? अगर कांग्रेस की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार हर्षद मेहता घोटाले के लिए और भाजपा की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार केतन पारेख घोटाले के लिए जेपीसी बना सकती थी, तो आप (अडाणी शेयर धोखाधड़ी मामले के लिए) जेपीसी क्यों नहीं बना रहे हैं?” हाल ही में एक साक्षात्कार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस के दौर में 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले हुए थे, माकन ने कहा कि भाजपा सरकार अपने शासन के नौ वर्षों में इन मामलों में किसी को भी गिरफ्तार करने या भ्रष्टाचार का दोषी साबित करने में विफल रही है।