नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में जन प्रतिनिधित्व कानून (RP Act) के सेक्शन 8(3) की संवैधानिकता को चुनोती देते हुए याचिका दायर की गई है. इस याचिका में इस सेक्शन को रद्द करने की मांग की गई.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में सूरत की एक अदालत ने दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई है. इसके बाद जन प्रतिनिधित्व कानून के हिसाब से कांग्रेस नेता की संसद सदस्यता रद्द हो गई. इस पूरे घटनाक्रम के चलते यह प्रावधान एक बार सुर्खियों में छाया है.
दरसअल इसी सेक्शन के तहत किसी भी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पर उनकी सदस्यता रद्द हो जाती है. इस याचिका में कहा गया कि निर्वाचित प्रतिनिधि (सांसद/विधायक) को सजा होते ही स्वत: उनकी सदस्यता रद्द होना असंवैधानिक है. याचिका में कहा गया है कि अगर किसी भी जन प्रतिनिधि को 2 साल की सज़ा होती है तो अपने आप अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए.
बता दें कि जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में व्यवस्था की गई है कि अगर किसी निर्वाचित जन प्रतिनिधि को किसी मामले में 2 साल या इससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता स्वत: समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा सजा पूरी होने के छह साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा. किसी मौजूदा सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है.
राहुल कर चुके हैं इस प्रावधान को रद्द करने का विरोध
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में जन प्रतिनिधित्व कानून के इस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त करने के आदेश को निष्प्रभावी बनाने के लिए प्रयास किया था. इसमें कहा गया है कि दो साल या इससे अधिक की सजा होने की स्थिति में सजा सुनाए जाने वाले दिन से वह व्यक्ति सजा की मियाद और उसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता. तब राहुल गांधी ने ही यूपीए सरकार के इस कदम का विरोध किया था और संवाददाता सम्मेलन में बिल की कॉपी फाड़ दी थी.
इससे पहले सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी सरनेम’ से जुड़ी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें 23 मार्च को 2 साल जेल की सजा सुनाई. हालांकि, सुनवाई के दौरान ही अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें. बता दें कि राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘क्यों सभी चोरों का समान उपनाम (सरनेम) मोदी ही होता है?’