राजनांदगांव । कलेक्टर डोमन सिंह ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से जुड़े स्वयं सेवी संस्थाओं, समाज सेवी संस्थाओं, अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, डॉक्टर, मितानिन तथा जनसामान्य से बच्चों के सुपोषण के संबंध में चर्चा की। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले में गंभीर कुपोषण को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य किया जा रहा है। सभी वर्गों के सहयोग से हम सफलता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गंभीर कुपोषित बच्चों को मध्यम एवं सामान्य श्रेणी में लाने के लिए एक लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जिसमें जनप्रतिनिधि, स्वयं सेवी संस्थाओं, समाज सेवी संस्थाओं, अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, डॉक्टर, महिला स्वसहायता समूह, मितानिन तथा जनसामान्य सभी जुड़ रहे हैं। सभी के सहयोग से गंभीर कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए सुपोषण किट उपलब्ध कराया जा रहा है। इस अतिरिक्त पोषण आहार से बच्चे बेहतर एवं प्रभावी स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।
तीन माह में बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए हरसंभव प्रयास करना होगा। उन्होंने इस अभियान से जुड़े सभी संस्थाओं व नागरिकों से कहा कि जिन बच्चों को गोद लिया गया है, उनके अभिभावकों को पोषण के लिए समझाईश दें तथा बच्चे के स्वास्थ्य की मानिटरिंग करते रहें। समुदाय की ओर से जब कोई सकारात्मक बात कही जाती है, तो उसका असर गहरा होता है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्थानीय नागरिकों से जुड़कर सुपोषण की जागरूकता के लिए तथा स्वच्छता के संबंध में बताएं। उन्होंने कहा कि बच्चे के परिवार से भेंट के दौरान बच्चे के सेहत की जानकारी ले। बच्चों के खान-पान, पौष्टिक आहार, भोजन की निगरानी, स्वच्छता के संबंध में बताए। गंभीर कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में रखकर उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकती है। स्मार्ट टीवी के माध्यम से सुपोषण के बारे में जनजागरूता लाने के लिए कहा। उन्होंने सभी से सुपोषण के संबंध में चर्चा की और इस दौरान सबने अपने अनुभव एवं सुझाव साझा किए।
कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती गुरप्रीत कौर ने बताया कि जिले में 902 गंभीर कुपोषित बच्चे है। उनके सुपोषण के लिए लगातार सभी का सहयोग मिल रहा है और बच्चों को सुपोषण किट का वितरण किया जा रहा है। सुपोषण किट में बच्चों के लिए पोषण तत्वों से भरपूर मुर्रा लड्डू, घी-आटे की पंजीरी, चना-गुड़ उपलब्ध है। जिससे बच्चों को मध्यम या सामान्य की श्रेणी में लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेडी टू ईट से बना हलवा, पौष्टिक आहार तथा शाम को 3.30 बजे से 4 बजे के मध्य सुपोषण किट दिया जा रहा है। ताकि उनके भोजन के बीच अंतराल न रहे। उद्याचल के श्री अशोक मोदी ने कहा कि बच्चों को केला एवं दूध भी पौष्टिक आहार के रूप में दिया जा सकता है। एबीस ग्रुप के प्रतिनिधि ने डोंगरगांव में सुपोषण किट देने के लिए सहमति जताई। माँ शीतला स्वसहायता समूह के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने चार बच्चों को गोद लिया है और सुपोषण किट दे रहे हंै तथा बच्चे के अभिभावक एवं उनके परिवार से भेंट कर सुपोषण के संबंध में समझाईश दे भी दे रहे हैं। शिक्षकों ने बताया कि वे स्थानीय लोगों से मिलकर पालकों को बता रहे हंै। साथ ही बच्चे के सेहत की जानकारी ले रहे हैं। इस दौरान सभी ने अपने अनुभव साझा किए।
उल्लेखनीय है कि बच्चों को प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार देना बहुत जरूरी है। पौष्टिक आहार से रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है तथा बच्चे बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। समय-समय पर बच्चों के वजन एवं ऊंचाई की माप आंगनबाड़ी केन्द्रों में की जा रही है। जिले के 337 ग्राम पंचायतों में 902 गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए 902 सुपोषण किट की व्यवस्था की गई है। सुपोषण किट की व्यवस्था करने में 93 जनप्रतिनिधि, 51 सामाजिक संस्था, एनजीओ व उद्योग, 129 अधिकारी-कर्मचारी, 7 डॉक्टर, 30 शिक्षक, 147 महिला समूह, 8 राजीव मितान क्लब तथा 158 अन्य नागरिकों द्वारा सुपोषण किट दिया जा रहा है। इस अवसर पर उदयाचल के प्रतिनिधि श्री अशोक मोदी, एबीस के प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि, स्वयं सेवी संस्थाओं, समाज सेवी संस्थाओं, अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों, डॉक्टर, महिला स्वसहायता समूह, मितानिन तथा जनसामान्य उपस्थित थे।