अलीराजपुर/देवास। आपने फिल्मों में रील लाइफ में अक्सर डबल रोल की कहानी देखी और सुनी होगी, लेकिन जब ये चीजें रियल लाइफ में होने लग जाती है तो इंसान बड़ी मुसीबत में फंस जाता है। देश के सबसे बड़ा एग्जाम माने जाने वाले यूपीएससी 2022 के नतीजे आए तो मध्य प्रदेश में दो कैंडिडेट्स के बीच कुछ ऐसा हुआ जिससे मामला अब चर्चा में हैं।
ये कहानी बेहद दिलचस्प है। आयशा मकरानी पिता सलीमुद्दीन अलीराजपुर जिले की रहने वाली है, जबकि दूसरी कैंडिडेट आयशा फातिमा पिता नजीरुद्दीन देवास जिले से आती है।दोनों UPSC के एग्जाम में शामिल हुई। तीनों स्टेज की परीक्षा में दोनों सम्मिलित हुई। जब रिजल्ट आया तो दोनों आयशा के घर के लोग ख़ुशी से झूम उठे और मिठाईयां बंटने लगी। जब सोशल मीडिया पर दोनों की तस्वीरें 184 रैंक के साथ वायरल होना शुरू हुई तो पूरे यूपीएससी एग्जाम पर सवाल खड़े हो गए है।
दरअसल दोनों युवतियों के एडमिट कार्ड में एक ही रोल नंबर 7811744 दर्ज है। दोनों को एक ही रोल नंबर जारी होना बड़ा सवाल है। अब देवास की आयशा फातिमा का कहना है कि एग्जाम उसने क्वालीफाई किया है। 184वीं रैंक उसकी ही है। इधर आयशा मकरानी के भाई शहबाजुद्दीन ने बताया कि यदि बहन को न्याय नहीं मिला तो वह न्यायलय की शरण लेगा। खुद आयशा मकरानी अपना नाम होने के साथ अपने साथ फ्रॉड होने और पूरे मामले की जांच करवाने की बात भी कह रही है। आयशा मकरानी का दावा है कि उन्होंने परीक्षा दी है, इंटरव्यू देने के प्रमाण भी होने का दावा किया जा रहा है।
आयशा फातिमा ने दी दलील
मामले में देवास की आयशा फातिमा का कहना हैं कि मीडिया से इसकी जानकारी मुझे मिली हैं। मैं इसमें आगे की कार्यवाही की शुरआत करूंगी ताकि आगे इस तरह का फ्रॉड न हो। जो भी आगे प्रोसीजर होगा उसे में फॉलो करूंगी।बात दे कि देवास की आयशा फातिमा कहना हैं कि उनके सर्टिफिकेट पर क्यूआर कोड व अपर सचिव के सिग्नेचर हैं। साथ ही 25 अप्रैल को मंगलवार था। यह सब जानकारी सही हैं।वहीं अलीराजपुर की फातिमा के सर्टिफिकेट में न तो क्यूआर कोड हैं और न ही अपर सचिव के सिग्नेचर हैं। साथ ही 25 अप्रैल को गुरुवार लिखा हैं जो कि गलत हैं उस रोज मंगलवार था। और इस बात को आलीराजपुर की फातिमा ने भी अपने बयान में स्वीकार किया हैं।
वहीं दोनों युवतियों का रोल नंबर और रैंक एक जैसे आने से लोग भी हैरत में है और इस गड़बड़ी की वजह भी जानना चाहते है कि दोनों कैंडिडेट के पिता का नाम और शहर अलग होते हुए एक ही रोल नंबर कैसे जारी हो गया?