प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिन के लिए अमेरिका दौरे पर हैं. अमेरिका दौरे के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से मुलाकात की और आपस में तोहफे एक्सजेंच किए. बाइडेन फैमिली की ओर से पीएम मोदी को गिफ्ट दिया गया और पीएम मोदी ने भी गिफ्ट दिए. फर्स्ट लेडी ऑफ अमेरिका जिल बाइनेन को ग्रीन डायमंड गिफ्ट किया है. उसकी विशेषता जान लीजिए.
भारत की ओर से जो ग्रीन डायमंड दिया गया है, वो काफी बेशकीमती हीरा है. तो हम आपको बताते हैं कि इस डायमंड की क्या खास बात हैं, जो इसे लग्जरी बनाती हैं. तो जानते हैं ये हीरा क्यों खास होता है और सामान्य डायमंड से कितना अलग है.
जो डायमंड पीएम मोदी की ओर से दिया गया है, वो 7.5 कैरेट का है. एडवांस टेक्नोलॉजी से बनाया गया है. सूरत की कंपनी ने अनोखे पैटर्न के साथ प्रयोगशाला में तैयार किया गया हीरा बनाया है.
यह प्रयोगशाला में विकसित हीरा है. जिस खदान से हीरा निकाला गया था, उस खदान से मिले हीरे से भी उच्च श्रेणी के हीरे हैं. सभी वैज्ञानिक पैरामीटर समान हैं. प्रयोगशाला की ये तैयारियां इस मायने में अनूठी हैं कि ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं. जब प्राकृतिक हीरे निकालने की प्रक्रिया में पृथ्वी को नुकसान होता है. इसे ग्रीन हीरा कहा जाता है.
अप्रैल 2022 में पहली बार सूरत स्थित हीरा कंपनी ने लैब में विकसित ग्रीन क्रॉस डायमंड बनाया है. इसके निर्माण में 17 कैरेट के हीरे का उपयोग किया गया है. दुनिया में पहली बार ऐसा हीरा देखा गया और इसने दुनिया भर के बाजार में हलचल मचा दी थी. सूरत डायमंड कंपनी ने दुनिया का पहला 17 कैरेट का लैब निर्मित क्रॉस हीरा बनाया. दुनियाभर के बाजार में यह आश्चर्य का विषय बन गया था. इसकी चमक भी उतनी ही होती है. बिना प्रमाण पत्र के न केवल आम जनता बल्कि हीरा व्यापारी भी असली हीरे और लैब में तैयार हीरे के बीच का अंतर नहीं बता पाएंगे.
कितना है अलग
आमतौर पर एक हीरा, जमीन में कई किलोमीटर की गहराई में बनता है. लेकिन लैब में बनने वाले हीरे और सामान्य हीरे में फर्क कर पाना मुश्किल होता है. यही वजह है कि इसे आर्टिफिशियल डायमंड कहते हैं. लैब में एक हीरे को बनने में करीब 20 से 30 दिन लगते हैं.