लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू, घर-घर जाकर पोस्टल बैलेट से वोटिंग करवा रहे चुनावकर्मी

नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनावों के लिए पोस्टल बैलेट से मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई है. निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कुछ चुनिंदा सरकारी सेवाओं के कर्मचारियों के अलावा, दिव्यांग और 85 साल से अधिक आयु वर्ग के मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट से मतदान की सुविधा उपलब्ध करायी गई है. देश के अलग-अलग राज्यों में चुनावकर्मी पोस्टल बैलेट से वोटिंग करने के लिए पात्र मतदाताओं की पहचान करके उनके घर पहुंच रहे हैं और उनका मत डलवा रहे हैं.
भारत के निर्वाचन आयोग की यह पूरी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान में हिस्सा ले सकें. लेकिन अधिक उम्र के नागरिक और बहुत सारे दिव्यांग मतदाता ऐसी स्थिति में नहीं होते कि वे बूथ पर जाकर वोट डाल सकें. इसके अलावा बहुत सारी ऐसी सरकारी सेवाएं हैं, जिनके कर्मचारी अपने मूल स्थान से दूर रहते हैं और वोटिंग के लिए घर नहीं जा पाते. जैसे की सैन्यकर्मी. ऐसे लोगों के लिए भारत के निर्वाचन आयोग ने डाक मतपत्र या पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग की व्यवस्था की है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपने गृह नगर से दूर रहने वाले नागरिक, सीनियर सिटिजन्स और दिव्यांग मतदाता जो बूथ पर जाने में सक्षम नहीं हैं, वे भी वोट दे सकें.
अभी तक 80 वर्ष से अधिक आयु वाले नागरिक इस सुविधा का लाभ उठाने के पात्र थे. लेकिन निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा होने से कुछ दिन पहले कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल, 1961 में बदलाव कर दिया था. इस बदलाव के तहत पोस्टल बैलेट से वोटिंग के पात्र वरिष्ठ नागरिकों की उम्र सीमा 80 से बढ़ाकर 85 वर्ष कर दी गई थी. चुनाव आयोग (ईसी) के नवीनतम मतदाता सूची के अनुसार, देश में 80 वर्ष से अधिक आयु के वोटर्स की संख्या 1.85 करोड़ है. वहीं 100 वर्ष और उससे अधिक आयु के मतदाताओं की संख्या 2.38 लाख है.
बता दें कि चुनाव संचालन नियमों के नियम 27A के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, इलेक्शन ड्यूटी में तैनात कर्मियों और सैन्यकर्मियों के लिए पोस्टल बैलेट यानी डाक मतपत्र से वोटिंग की सुविधा प्रदान की गई है. सरकार ने डाक पत्रों के जरिए वोटिंग करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों की उम्र सीमा 80 से बढ़ाकर 85 वर्ष करने का फैसला पिछले 11 विधानसभा चुनावों में बुजुर्गों के वोटिंग पैटर्न को ध्यान में रखते हुए लिया था. इन चुनावों में 80 साल से ऊपर के 97 से 98 फीसदी मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट की बजाय पोलिंग बूथ पर जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग करना पसंद किया था.
चुनाव आयोग पहले ही यह तय कर लेता है कि किन लोगों को और कितने लोगों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने की अनुमति देनी है. जैसे भारत में पोस्टल बैलेट से वोटिंग का अधिकार 85 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों, दिव्यांगजनों और सैन्य कर्मियों को है. पोस्टल बैलेट से मतदान के लिए पात्र वोटर्स को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जिसमें एड्रेस समेत अन्य जरूरी विवरण देना होता है. इसी आधार पर चुनाव आयोग की ओर से इन लोगों को कागज पर प्रिंट खास मतपत्र भेजा जाता है, जिसे पोस्टल बैलेट कहते हैं.
इस मतपत्र को प्राप्त करने वाला नागरिक अपनी पसंदीदा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर स्टैम्प लगाकर अपना वोट डालता है. चुनाव कर्मियों द्वारा मतपत्र को एक सीलबंद बॉक्स में डाल दिया जाता है, जिसे बैलेट बॉक्स कहते हैं. यह बैलेट बॉक्स स्थानीय जिले के स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है और मतगणना वाले दिन खुलता है. मतगणना के दौरान सबसे पहले पोस्टल बैलेट से पड़े वोटों की गिनती शुरू होती है. इसके बाद ईवीएम खुलती है और इसमें दर्ज मतों की गिनती शुरू होती है. बता दें कि देश में लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में 19 और 25 अप्रैल, 7, 13, 20 और 25 मई और 1 जून को मतदान होने हैं. नतीजे 4 जून को घोषित होंगे.

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