दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत पर संज्ञान लेने के फैसले को चुनौती दी है,क्योंकि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने ट्रायल कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगाने की मांग की है. केजरीवाल ने ट्रायल कोर्ट की ओर से ED की शिकायत पर संज्ञान लेने के फैसले को चुनौती दी है.
याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराध का संज्ञान लेने में गलती की है. याचिकाकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि CRPC की धारा 197 (1) के तहत अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी की जरूरत है, लेकिन उनके मामले में ED ने ऐसा नहीं किया है. यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि याचिकाकर्ता अरविंद केजरीवाल कथित अपराध के समय मुख्यमंत्री थे.
12 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की ओर से दायर उस याचिका पर जवाब मांगा था जिसमें उन्होंने उन्हें जारी समन को चुनौती दी थी. अरविंद केजरीवाल फिलहाल ED और CBI केस में जमानत पर हैं, और 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी. वर्तमान में सभी नेता जमानत पर हैं, लेकिन केजरीवाल, दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पार्टी नेता विजय नायर को भी जेल जाना पड़ा था.
ED और CBI का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने गलत तरीके से शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया और बदले में उनसे रिश्वत ली. आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार ने इन आरोपों को झूठा बताया है.