कैप्टन को अहमदाबाद प्लेन क्रैश का जिम्मेदार ठहराए जाने का मामला,WSJ और रॉयटर्स को पायलटों ने भेजा नोटिस

एअर इंडिया प्लेन क्रैश में 241 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे की जांच अभी चल रही है। हालांकि, शुरूआती रिपोर्ट्स के आधार पर कुछ विदेशी मीडिया ने इस हादसे के लिए प्लेन के कैप्टन को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका की इस प्रतिष्ठित मीडिया संसथान ने अपने लेख में कहा है कि,प्लेन के कैप्टन ने जानबूझ कर फ्यूल बटन को बंद किया था। इसी तरह इंग्लैंड की प्रतिष्ठित मिडिया रॉयटर्स ने भी अपनी खबर में कुछ इसी तरह का दावा किया। जिसके बाद भारतीय पायलट महासंघ (एफआईपी) ने शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को द वॉल स्ट्रीट जर्नल और रॉयटर्स को लीगल नोटिस भेजा है। एफआईपी ने आधिकारिक तौर पर माफी मांगने की मांग की है।

इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए एफआईपी के अध्यक्ष सीएस रंधावा ने कहा कि भारतीय पायलट महासंघ ने कानून के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है और डब्ल्यूएसजे और रॉयटर्स को उनकी रिपोर्ट के लिए नोटिस भेजकर माफी मांगने को कहा है।

ईमेल करके भेजा नोटिस

रॉयटर्स और द वॉल स्ट्रीट जर्नल को भेजे गए एक ईमेल में, एफआईपी ने कहा, “हमारे ध्यान में आया है कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के कुछ वर्ग बार-बार चुनिंदा और असत्यापित रिपोर्टिंग के माध्यम से निष्कर्ष निकालने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर जब जांच जारी है।”

नोटिस में आगे कहा गया, “हालांकि इस स्तर की दुर्घटना ने जनता का ध्यान आकर्षित किया है और लोगों को झटका लगा है, लेकिन यह समझना होगा कि यह समय भारतीय विमानन उद्योग की सुरक्षा के प्रति जनता में चिंता या आक्रोश पैदा करने का नहीं है, विशेष रूप से निराधार तथ्यों के आधार पर।”

विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) की ओर से जारी जांच का हवाला देते हुए ईमेल में कहा गया है, “आधिकारिक पुष्टि और आखिरी रिपोर्ट के अभाव में, दुर्घटना के कारण के बारे में अटकलें लगाने वाली या किसी व्यक्ति, विशेष रूप से मृत पायलटों को दोषी ठहराने वाली किसी भी सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने से बचें।”

एफआईपी ने आगे लिखा, “हमें यह रिकॉर्ड में दर्ज करने का निर्देश दिया गया है कि इस तरह की अटकलें लगाने वाली सामग्री का प्रकाशन बेहद गैर-जिम्मेदाराना है और इससे मृतक पायलटों की प्रतिष्ठा को गंभीर और अपूरणीय क्षति हुई है, जो अपना बचाव करने में असमर्थ हैं। ऐसा करके, रॉयटर्स ने शोक संतप्त परिवारों पर अनावश्यक संकट भी डाला है और पायलट बिरादरी का मनोबल गिराया है, जो भारी दबाव और सार्वजनिक जिम्मेदारी के तहत काम करती है।”

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