लता जी को भतीजे आदित्य देंगे मुखाग्नि, PM मोदी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे

ये वसंत हमसे रूठ गया, सदा के लिए… भारत ने अपना रतन खो दिया… लता जी नहीं रहीं। ये सरस्वती का सुर विराम है।

उमर 92 साल हो चली थी। कोरोना और निमोनिया से 29 दिन लड़ीं भी, लेकिन आखिरकार रविवार सुबह सवा आठ बजे हम सबको, देश को, दुनिया को ना कह गईं। इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चल रहा था। लता जी के निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक रहेगा। देशभर में झंडा आधा झुका रहेगा।

लता जी के पार्थिव शरीर को आर्मी के जवानों ने पूरे सम्मान के साथ सेना के ट्रक में रखा।

शिवाजी पार्क पहुंचा पार्थिव शरीर
लता जी का पार्थिव शरीर शिवाजी पार्क पहुंच गया है, जहां अब से कुछ देर बाद उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर के बेटे आदित्य उन्हें मुखाग्नि देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें अंतिम विदाई देने मुंबई के शिवाजी पार्क पहुंच गए हैं।

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन बेटी श्वेता के साथ लता जी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई
इससे पहले, सेना के जवान लता जी के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर घर से बाहर लाए। इसके बाद आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और महाराष्ट्र पुलिस के जवानों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। उनका पार्थिव शरीर फूलों से सजे सेना के ट्रक में रखकर शिवाजी पार्क ले जाया गया। मुंबई के हजारों लोग लता ताई को अंतिम विदाई देने सड़कों पर उतर आए। ब्रीच कैंडी अस्पताल से लता जी की पार्थिव देह दोपहर 1.10 बजे उनके घर पहुंची थी।

सुबह 8.12 बजे अंतिम सांस ली
लता जी की कोरोना रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी। इसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि भर्ती होने की खबर भी दो दिन बाद, यानी 10 जनवरी को सामने आई। ब्रीच कैंडी में डॉ. प्रतीत समधानी की देखरेख में ही डॉक्टर्स की टीम लता जी का इलाज कर रही थी। इलाज के दौरान उनकी हेल्थ में सुधार भी देखा जा रहा था। उन्हें लगातार ऑब्जर्वेशन में रखा गया। करीब 5 दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होना भी शुरू हो गया था। ऑक्सीजन निकाल दी गई थी, लेकिन ICU में ही रखा गया, लेकिन रविवार को सुबह 8.12 बजे उनका निधन हो गया। डॉ. प्रतीत ने बताया कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर उनकी मौत की वजह रही।

प्रभु कुंज की आभा गुम हुई
लता मंगेशकर अपनी बहन उषा और भाई हृदयनाथ के साथ मुंबई के पेडर रोड स्थित प्रभुकुंज में पहले फ्लोर पर रहती थीं। कई सालों से वे यहां रह रही थीं। बहन आशा भोसले भी यहां से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। सालों तक प्रभाकुंज सोसायटी की सुबह लता मंगेशकर के संगीत के रियाज से ही शुरू होती रहीं। खराब सेहत के कारण करीब 4 साल से उनका रियाज लगभग बंद सा ही था। नवंबर 2019 में भी लता जी को निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था। जहां वे 28 दिन भर्ती रही थीं। नवंबर 2019 के बाद से उनका घर से निकलना भी लगभग बंद हो चुका था।

नौकर के पॉजिटिव आने के बाद संक्रमित हुई थीं
लता जी लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं। वे कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के लिए संदेश देती थीं। बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के कारण वे ज्यादातर समय अपने कमरे में ही गुजारती थीं। उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था। 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

संगीत की दुनिया के 8 सुरमयी दशक
92 साल की लता जी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था, जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी। सन 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए। उनका आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।

करीब 80 साल से संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे। उन्होंने ही लता जी को संगीत की शिक्षा दी थी। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।

2001 में मिला था भारत रत्न
लता मंगेशकर को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। इससे पहले भी उन्हें कई सम्मान दिए गए, जिसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान भी शामिल हैं। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी गायिका के साथ संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म “लेकिन” थी, इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं। इसके अलावा भी फिल्म “लेकिन” को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।

 

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