वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर को एक श्रद्धालु ने 60 किलोग्राम सोना (Gold) दान किया है, जिसमें से 37 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर किया गया है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले एक श्रद्धालु मंदिर प्रशासन के संपर्क में आया था. हालांकि उसने अपना नाम सबके सामने जाहिर करने से मना किया है.
मंदिर में चढ़ाया 60 किलो सोना
डिविजनल अधिकारी दीपक अग्रवाल ने कहा कि मंदिर में एक अज्ञात श्रद्धालु ने 60 किलोग्राम सोना चढ़ाया है. इसमें से 37 किलो का इस्तेमाल गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर किया गया है, जिसमें बाकी 23 किलो सोना बचा हुआ है.
कैसे हुआ सोने का इस्तेमाल?
बता दें कि 13 दिसंबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. इससे पहले, श्रद्धालु मंदिर के अधिकारियों के संपर्क में आया था. उनके दान के प्रस्ताव के बाद, मंदिर के अधिकारियों ने इस योजना को भी अंतिम रूप दिया था कि दान किए गए सोने का इस्तेमाल गर्भगृह की भीतरी दीवार और मुख्य मंदिर के गुंबद के निचले हिस्से पर सोने की परत चढ़ाने के लिए किया जाएगा.
दिल्ली के कारीगरों ने चढ़ाई सोने की परत
दीपक अग्रवाल ने कहा, ‘दिल्ली की एक फर्म इस काम को पूरा करने के लिए लगाई गई थी. फर्म के कारीगरों ने गर्भगृह की कलात्मक दीवारों की ताम्रपत्रों से ढलाई की. इसे दीवार से ठीक करने के बाद इसमें सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया की गई.’
18वीं शताब्दी के बाद मंदिर के किसी भी हिस्से पर सोने की परत चढ़ाने का ये दूसरा सबसे बड़ा काम है. काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास के अनुसार, 1777 में इंदौर की रानी महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद, पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने लगभग एक टन सोना दान किया था, जिसका इस्तेमाल मंदिर के दो गुंबदों को ढंकने के लिए किया गया था.
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर 900 करोड़ रुपये से अधिक का प्रोजेक्ट शुरू किया गया, जिसके तहत 300 से अधिक इमारतों को खरीदा और हटा दिया गया था ताकि तीर्थ क्षेत्र को 2,700 वर्ग फुट से बढ़ाकर पांच लाख वर्ग फुट किया जाए, क्योंकि जलासेन, मणिकर्णिका और ललिता घाटों को गंगा नदी से माध्यम से जोड़ा जा सके.