बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के अस्पताल में गर्दन की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन) की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न हुई। बालको अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक सिन्हा और उनकी टीम ने पहली बार बालको अस्पताल में हुई इस महत्वपूर्ण सर्जरी के जरिए आईटीआई रामपुर निवासी 40 वर्षीय महिला के हाथों में आई संवेदनहीनता की स्थिति को दूर करने में कामयाबी पाई। ऑपरेशन के बाद मरीज बालको अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। उनके परिवारजनों ने बालको अस्पताल की सुविधाओं और चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों के व्यवहार की दिल खोलकर प्रशंसा की है।
डॉ. सिन्हा ने बताया कि मरीज अपने घर में सीढ़ी से फिसलकर घायल हो गई थीं। परिवारजनों ने प्राथमिक चिकित्सा के बाद स्थिति में सुधार न होते देख कोरबा के न्यूरोसर्जन डॉ. प्रदीप त्रिपाठी से संपर्क किया। विस्तृत जांच और मरीज की जटिल स्थिति देखकर डॉ. त्रिपाठी ने उन्हें बालको अस्पताल रेफर कर दिया। बालको अस्पताल में हुए परीक्षणों में यह पाया गया कि गर्दन की हड्डियों सी5-सी6 में लिसथिसिस और सी6-सी7 में डिस्क प्रोलैप्स की समस्या उत्पन्न हो गई थी। मरीज के स्पाइनल कॉर्ड में दबाव से हाथों के संचालन पर विपरीत प्रभाव पड़ा। यह स्थिति भी आई कि मरीज के हाथों की संवेदना लगभग समाप्त हो गई। वह मुट्ठी बांधने, चीजों को पकड़ने और रोजमर्रा के अन्य कार्य करने में असमर्थ हो गईं।
न्यूरोसर्जन डॉ. त्रिपाठी के सहयोग से बालको अस्पताल में लगभग 4 घंटे की सर्जरी की गई। इस दौरान इलियक क्रेस्ट बोन ग्राफ्टिंग यानी कुल्हे की हड्डी को सही आकार देकर गर्दन की क्षतिग्रस्त हड्डी के स्थान पर लगाया गया। इसके साथ ही टाइटेनियम स्पेसर की मदद से डिस्क प्रोलैप्स की स्थिति को ठीक किया गया। डॉ. सिन्हा ने बताया कि बालको अस्पताल में पहली बार हुई यह सर्जरी 100 फीसदी सफल रही। ऑपरेशन के बाद अब मरीज अपने हाथों का संचालन ठीक से कर पा रही हैं। डॉ. सिन्हा ने यह भी बताया कि बालको अस्पताल में ट्रॉमा सर्जरी के अलावा अब घुटना प्रत्यारोपण, कुल्हे के प्रत्यारोपण आदि के साथ मेरूदंड से संबंधित सर्जरी किए जा रहे हैं जिससे बड़ी संख्या में जरूरतमंदों को लाभ मिल रहा है।