महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नहीं, एकनाथ शिंदे होंगे. इसकी घोषणा खुद देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे की मौजूदगी में की. शिंदे शाम के साढ़े सात बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. फडणवीस ने बताया कि आज सिर्फ एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण होगा. मैं एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल से बाहर रहूंगा.
उन्होंने कहा कि 2019 में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. हमें उस वक्त पूर्ण बहुमत मिला था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें बड़ी जीत मिली थी. फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे लगातार उद्धव ठाकरे से कहते रहे की आप महाविकास अघाडी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) सरकार से बाहर निकलिए लेकिन उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की एक नहीं सुनी.
उन्होंने कहा कि बाला साहब ने जीवन भर जिनसे लड़ाई की, ऐसे लोगों के साथ उन्होंने सरकार बनाई. ढाई साल तक कोई प्रगति नहीं हुई. उद्धव के नेतृत्व में महा विकास अघाडी की सरकार चली. महा विकास अघाडी सरकार को लेकर शिवसेना के कई नेता उद्धव ठाकरे से खफा थे.
एकनाथ शिंदे क्या बोले?
वहीं एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने जो निर्णय लिया वो आप सबको पता है. किन परिस्थितियों में निर्णय लिया गया यह भी आपको पता है. बाला साहब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का काम करूंगा. सभी 50 विधायक साथ में हैं. हमने कई बार मुख्यमंत्री से अपने विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं के बारे में बताया. मुख्यमंत्री ने कभी हमारे बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
शिंदे ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने को लेकर लिए गए फैसले पर कहा कि अंतिम दिनों में जो काम हुआ उसे बहुत पहले किया जाना चाहिए था.
एकनाथ शिंदे ने कहा कि संख्याबल के हिसाब से देवेंद्र फडणवीस हम से कहीं आगे हैं. उनके पास अपने 106 विधायक हैं. लेकिन उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए बाला साहब के विचारों को आगे बढ़ाने का काम किया है. देवेंद्र फडणवीस जैसा इंसान मिलना मुश्किल है. इतना बड़ा पद किसी और को दे देना ये राजनीति में बहुत काम देखने को मिलता है. बालासाहब ठाकरे के एक शिव सैनिक को मौका दिया है.
उन्होंने कहा कि मेरे साथ जो 50 विधायक है. मैं उन सभी का भी धन्यवाद करता हूं. इन सभी लोगों ने एकनाथ शिंदे जैसे छोटे कार्यकर्ता का साथ दिया है. 39 शिवसेना के और 11 निर्दलीय हमारे साथ हैं. जो कुछ अपेक्षा इस राज्य की जनता ने की है, उसे पूरा करने के लिए रात दिन मेहनत हम करेंगे.