नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर दाखिल जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए आज (शुक्रवार ) केस की जांच पर असंतोष जाहिर किया है और कहा है कि मामले की सीबीआई (CBI) से जांच कराना समाधान नहीं हो सकता है, क्योंकि इसमें कुछ (लोगों) की संलिप्तता है.
अदालत की यह टिप्पणी याचिकाकर्ताओं के उस अनुरोध पर थी, जिसमें लखीमपुर खीरी की घटना की जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा कराए जाने की मांग की गई थी. CJI ने राज्य के वकील हरीश साल्वे से पूछा, “क्या राज्य (उत्तर प्रदेश) ने इसे सीबीआई को सौंपने का कोई अनुरोध किया है?” इस पर साल्वे ने जवाब दिया: “राज्य ने ऐसा अनुरोध नहीं किया है… मामला पूरी तरह से आपके प्रभुत्व में है… यदि आप जांच से संतुष्ट नहीं हैं, तो इसे सीबीआई को सौंप दें.”
इस पर CJI ने जवाब दिया, “मिस्टर साल्वे, हम आपका सम्मान करते हैं. हमें उम्मीद है कि संवेदनशील मुद्दा होने के कारण राज्य इस मामले में आवश्यक कदम उठाएगा. हम टिप्पणी नहीं कर रहे हैं (लेकिन) सीबीआई कोई समाधान नहीं है.”
पिछले रविवार (03 अक्टूबर) को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर केंद्रीय मंत्री के बेटे द्वारा कथित गाड़ी चढ़ाने से चार किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद भड़की हिंसा में चार और लोगों की मौत हो गई थी. किसानों ने दर्ज FIR में आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे अजय मिश्रा ने प्रदर्शनकारी किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें रौंदने की कोशिश की, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई है.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अभी तक न तो अजय मिश्रा की गिरफ्तारी की जा सकी है और न ही उससे पुलिस पूछताछ कर सकी है. कल ही पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के घर मंत्री पुत्र को पूछताछ के लिए हाजिर होने का समन चस्पा किया था लेकिन मर्डर के आरोपी अजय मिश्र पुलिस के पास नहीं पेश हो सके. पुलिस ने मामले में कल दो लोगों को गिरफ्तार किया है.