नई दिल्ली. देश के पास अब ऐसे खजानों का भंडार हो गया है, जिससे ना सिर्फ भारत के विकास को पंख लग जाएंगे, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में भी कदम तेजी से बढ़ने लगेंगे. दरअसल, भारत ने रक्षा, कृषि, ऊर्जा, फार्मास्युटिकल और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों के लिए अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए और अपने आत्मनिर्भर (आत्मनिर्भरता) रोडमैप के अनुरूप 30 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है. देश इन खनिजों को आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम मानता है. खनन मंत्रालय की तरफ से गठित एक विशेषज्ञ टीम द्वारा तैयार की गई ‘भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिज’ शीर्षक वाली पहली रिपोर्ट का बुधवार को केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एक समारोह में अनावरण किया.
वे महत्वपूर्ण खनिज हैं एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफ़नियम, इंडियम, लीथियम, मोलिब्डेनम, नाइओबियम, निकेल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, आरईई, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम. उम्मीद की जा रही है कि ये खनिज खनन क्षेत्र में नीति निर्माण, रणनीतिक योजना और निवेश के फैसलों के लिए एक मार्गदर्शक ढांचे के रूप में काम करेंगे.
महत्वपूर्ण खनिज वे खनिज होते हैं जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था उन प्रौद्योगिकियों पर आधारित होगी जो लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे खनिजों पर निर्भर हैं. ये हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन और रक्षा सहित कई क्षेत्रों की उन्नति के लिए आवश्यक हैं. वे कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था में वैश्विक परिवर्तन को शक्ति देने और ‘नेट ज़ीरो’ प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए जरूरी नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के मद्देनजर बेहद अहम है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान करना और मूल्य श्रृंखला को विकसित करना अनिवार्य हो गया है. खनन मंत्रालय ने महत्वपूर्ण खनिजों की सूची की पहचान करने के लिए नवंबर 2022 में खनन मंत्रालय के संयुक्त सचिव (नीति) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति ने सदस्यों के बीच कई विचार-विमर्श किए और आखिरी सूची पर पहुंचने का फैसला किया.
समिति ने महत्वपूर्ण खनिजों को सूचीबद्ध करने के अलावा, खनन मंत्रालय में महत्वपूर्ण खनिजों के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सीईसीएम) के निर्माण की भी सिफारिश की, जो समय-समय पर भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की सूची को अपडेट करेगा, महत्वपूर्ण खनिजों के लिए रणनीति बनाएगा और महत्वपूर्ण खनिजों की प्रभावी मूल्य श्रृंखला के विकास के लिए कई प्रकार के कार्य निष्पादित करेगा.
मंत्रालय के प्रयासों की तारीफ करते हुए केंद्रीय मंत्री जोशी ने बताया कि यह पहली बार है कि भारत ने प्रमुख क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण खनिजों की व्यापक सूची की पहचान की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा को याद करते हुए जोशी ने कहा कि भारत महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए प्रतिष्ठित खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी) में सबसे नया भागीदार बन गया है.