इस्लामाबाद: पाकिस्तान अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. कंगाल पाकिस्तान लोन के लिए IMF से आस लगाए बैठा है, लेकिन उसकी कठोर शर्ते मानने पर वह और बर्बाद होने के कगार पर पहुंच जाएगा. खबर है कि पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) गुरुवार को किसी समझौते तक पहुंचने में विफल रहे. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पाकिस्तानी अधिकारियों ने रक्षा बजट से 10-20 फीसदी की कटौती की शर्त को मानने से इनकार कर दिया है.
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र के अनुसार, सब कुछ सुचारू रूप से चल रहा था, जैसे ही वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ मिशन प्रमुख से रक्षा बजट में कटौती’ की शर्तों को हटाने का अनुरोध किया, तभी मिशन प्रमुख ने बातचीत रोक दी और समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिया. डार ने उनसे कहा कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर आधिकारिक यात्रा पर ब्रिटेन में हैं और सरकार को उनके साथ रक्षा बजट पर चर्चा करने के लिए कुछ समय चाहिए. IMF अपनी शर्तों को लेकर अड़ा रहा, इसके बाद आईएमएफ मिशन प्रमुख ने कहा कि वे शुक्रवार की सुबह जल्दी निकल रहे हैं. सचिव वित्त हमीद याकूब शेख ने कहा, ‘स्टाफ- स्तर के समझौते पर बाद में हस्ताक्षर किए जाएंगे.’
आईएमएफ ने वार्ता के अंत से ठीक पहले आर्थिक और वित्तीय नीतियों के लिए ज्ञापन के मसौदे पर चर्चा की, उसी दिन स्टाफ-स्तर के समझौते पर भी बात की. सूत्र ने खुलासा किया कि पाकिस्तान में आर्थिक संकट की गंभीरता के कारण, हर सहमत उपाय अधिकांश पाकिस्तानियों के लिए कठिन होगा. गुरुवार को नौ वर्षों में पहली बार देश के विदेशी मुद्रा भंडार के 3 बिलियन डॉलर (2.9 बिलियन डॉलर) से नीचे खिसकने के साथ भुगतान संतुलन के संकट का सामना कर रही 350 अरब डॉलर की पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बाहरी फंडिंग महत्वपूर्ण है, जिससे आयात क्षमता घटकर सिर्फ 10 दिन रह गई है.