हिंसा प्रभावित मणिपुर में सेना की हुई तैनाती, 7500 लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया

इंफाल: मणिपुर में आदिवासियों के आंदोलन के दौरान हिंसा भड़कने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन प्लान किया है. स्थिति नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स को तैनात किया गया है. मणिपुर में हालात का जायजा लेने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के एन बीरेन सिंह से बात की, जिसके बाद अर्धसैनिक बलों के 1500 जवान राज्य में तैनात होंगे. 500 और रैपिड एक्शन के जवानों की पांच कंपनियां मणिपुर पहुंच चुकी हैं, जबकि 1000 जवानों की 10 कंपनियां जल्द ही राज्य में पहुंचेंगी. सेना के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.

सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि अब तक 7,500 लोगों को सुरक्षाबलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि और भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है. जानकारी यह भी दी कि रात में सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया था और राज्य पुलिस के साथ बलों ने सुबह तक हिंसा पर नियंत्रण पा लिया. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है. राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई.

मौतों का विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं है
मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहने के बाद किया गया. पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में मार्च के दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में मेइती समुदाय के लोगों ने भी हमले किए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई. उन्होंने बताया कि तोरबंग में तीन घंटे से अधिक समय तक हुई हिंसा में कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ के साथ ही आगजनी की गई. लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, “संपत्ति के नुकसान के अलावा कीमती जानें चली गई हैं, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.” हालांकि, मौतों का विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं है.

हिंसा समाज में “गलतफहमी” का नतीजा है- बीरेन सिंह
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए सभी कदम उठा रही है और लोगों के जान-माल की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की मांग की गई है. उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय और राज्य बलों को हिंसा में शामिल व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. यह हिंसा समाज में “गलतफहमी” का नतीजा है.’

इंटरनेट सेवाएं पांच दिन के लिए निलंबित कर दी गईं
पड़ोसी मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए  बीरेन सिंह को पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में लिखा है, “मिजोरम के मुख्यमंत्री के रूप में एक स्थायी पड़ोसी जिसकी इतिहास और संस्कृति के मामले में मणिपुर के साथ बहुत कुछ समानता है, मुझे आपके राज्य के कुछ हिस्सों में भड़की हिंसा और वहां के मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच अंतर्निहित तनाव से बहुत पीड़ा हुई है.” सिंह ने कहा कि उन्होंने जोरमथंगा से फोन पर बात की और उन्हें मौजूदा स्थिति से अवगत कराया. एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और विष्णुपुर जिलों तथा आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए निलंबित कर दी गई हैं.

कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई
पुलिस ने बताया कि इंफाल घाटी के कई इलाकों में कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे उन्हें वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा. पुलिस ने कहा कि इंफाल पश्चिम में कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी अपने घरों से भाग गए हैं और वर्तमान में लम्फेलपत में सीआरपीएफ शिविर में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी में बीती रात कुछ पूजा स्थलों को भी आग के हवाले कर दिया गया. इस बीच, आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले के करीब 1,000 मेइती क्वाक्ता और मोइरांग सहित बिष्णुपुर जिले के विभिन्न इलाकों में भाग गए. पुलिस ने बताया कि कांगपोकपी जिले के मोटबंग इलाके में बीस से अधिक घर भी जलकर खाक हो गए. तेंगनौपाल जिले में म्यामार सीमा के पास मोरेह से भी हिंसा की सूचना मिली है.

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