नई दिल्ली : नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. एक जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर लोकसभा सचिवालय और भारत सरकार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संसद का उद्घाटन करने के निर्देश देने की मांग की गई है. ये याचिका वकील सीआर जया सुकिन ने दाखिल की है.
याचिकाकर्ता ने संविधान के आर्टिकल 79 का जिक्र करते हुए कहा कि संसद का अर्थ दोनों सदनों और राष्ट्रपति से है. तीनों को मिलाकर ही संसद बनती है. इस तरह राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं और उसके कस्टोडियन हैं. याची ने कहा कि राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है, जो संसद के सत्र को आहूत करते हैं और उसका अवसान करते हैं. वही प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को शपथ दिलाते हैं. यही नहीं कोई भी विधेयक मंजूर होता है तो वह राष्ट्रपति के नाम पर ही होता है. याचिका में कहा गया कि ऐसे में संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति को ना बुलाना उनका अपमान है और संविधान का उल्लंघन है.
याचिका में क्या दलीलें दी गईं है?
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं. अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं. संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं. इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह असंवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाए.
यह है मामला
दरअसल, 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस पर कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए. कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए. मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी(आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने उद्घाटन समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने की घोषणा की है. समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने वाले दलों में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कषगम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल हैं. इनके अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है और वे अपने विवेक के अनुसार फैसला करेंगे.