भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने इससे पीछे हटने की खबरों को खारिज करते हुए कहा है कि इंसाफ मिलने तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी. इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नौकरी पर जाना आंदोलन से वापस होना नहीं है. सब लोग गृहमंत्री से मिले थे और बातचीत के बाद क्या रिजल्ट आया अभी इसका पता नहीं है. राकेश टिकैत ने कहा है कि कुरुक्षेत्र की महा पंचायत से 9 जून की तारीख की घोषणा का प्रोग्राम स्थगित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो अगली तारीख होगी वह पहलवान देंगे उस पर सब इकट्ठे होंगे.
आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र में हुई महापंचायत के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि सरकार के पास बातचीत के लिए 9 जून तक का समय है. अगर उस तारीख तक सांसद बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं होती, तो खिलाड़ियों को एक बार फिर से दिल्ली जंतर मंतर लेकर जाएंगे. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन को किसान आंदोलन की तरह गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा.
रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी ने ट्वीट कर बताया कि ये खबर बिल्कुल गलत है. इंसाफ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है और ना हटेगा. साक्षी और बजरंग ने तीन जून की रात गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उसके बाद से ही मीडिया में उनके आंदोलन से नाम वापिस लेने की अटकलें लगाई जा रही थी. साक्षी ने इस मुलाकात की पुष्टि की और कहा कि यह औपचारिक मुलाकात थी और इसमें कोई समाधान नहीं निकला है. उन्होंने गृहमंत्री से मुलाकात को लेकर मीडिया से बातचीत में कहा था कि हमारी सामान्य बातचीत हुई और कोई अंतिम समाधान नहीं निकला. हमारी मांग आखिर तक यही रहेगी कि आरोपी पर गंभीर आरोप लगे हैं और उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
वहीं ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग ने ट्वीट कर कहा था कि आंदोलन वापिस लेने की खबरें कोरी अफवाह है. ये खबरें हमें नुकसान पहुंचाने के लिये फैलाई जा रही है. उन्होंने आगे लिखा कि हम न पीछे हटे हैं और न ही हमने आंदोलन वापिस लिया है. महिला पहलवानों की एफआईआर वापस लेने की खबर भी झूठी है. इंसाफ मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी.
साक्षी ने बाद में मीडिया से बातचीत के दौरान आगे कहा कि आंदोलन से हम बिल्कुल भी पीछे नहीं हटे हैं. इंसाफ मिलने तक सत्याग्रह जारी रहेगा और जहां तक रेलवे की बात है तो आंदोलन के साथ मैं अपनी जिम्मेदारी भी निभा रही हूं. उन्होने कहा कि हम आगे की रणनीति बना रहे हैं. हम अहिंसा के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं. मैं रेलवे में ओएसडी हूं और मेरी बहुत सारी जिम्मेदारियां है तो जब तक आंदोलन नहीं चल रहा है और हम रणनीति बना रहे हैं तब तक मैं यहां अपना काम देख रही हूं. नाबालिग लड़की के बयान वापिस लेने की खबरों पर उन्होंने कहा कि यह फेक न्यूज है. यह हमारे आंदोलन को कमजोर करने और आम जनता को हमसे तोड़ने के लिये ये खबरें चलाई गई हैं जो बिल्कुल गलत है. हम इस लड़ाई में ना कभी पीछे हटे थे और ना ही हटेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी इस आंदोलन में एक हैं और एक ही रहेंगे. एक अवयस्क समेत सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर ये पहलवान 23 अप्रैल से जंतर मंतर पर धरने पर बैठे थे. लेकिन 28 मई को नये संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर वहां महिला महापंचायत के आयोजन के लिये बढ़ने की कोशिश के बाद दिल्ली पुलिस ने पहलवानों को कानून और व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में हिरासत में ले लिया था. उन्हें शाम को छोड़ दिया गया लेकिन जंतर मंतर को खाली कराके उन्हें दोबारा वहां प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का ऐलान किया गया. इसके बाद पहलवान 30 मई को हरिद्वार में अपने पदक गंगा में विसर्जित करने गए लेकिन किसान और खाप नेताओं के समझाने के बाद पदक बहाये बिना लौट आये थे.