14 जुलाई को लॉन्च होगा ‘चंद्रयान-3’, 42 दिन के सफर के बाद होगी चांद पर लैंडिंग…

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) भी चांद की लेजर रेंजिंग की स्टडी करेगी.

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने बहुप्रतीक्षित मिशन ‘चंद्रयान-3’ को 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे लॉन्च करेगा. 42 दिनों के सफर के दौरान पहले पृथ्वी और उसके बात चंद्रमा का कई चक्कर लगाने के बाद परिस्थितियों को देखते हुए इसको 23 अथवा 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा.

इसलिए खास है यह मिशन

चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा के तापमान के बारे में पता लगाएगा. यह भी पता लगाएगा कि चांद पर भूकंप कैसे आते हैं. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का इस्तेमाल इस मिशन में होगा. चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजा जाएगा. ISRO अधिकारियों के मुताबिक, ‘लैंडर और रोवर पर लगे उपकरणों के जरिए कई जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.

लैंडर, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की क्षमता से लैस होगा और रोवर को तैनात करेगा, जो चंद्रमा की सतह की जानकारी भेजेगा. मार्च में पास कर लिए थे टेस्ट इसी साल मार्च में चंद्रयान-3 ने लान्चिंग के दौरान होने वाले वाइब्रेशन और साउंड वाइब्रेशन को सहन करने की अपनी क्षमताओं का टेस्ट सफलतापूर्वक पास कर लिया था.

चंद्रयान-2 की गलतियों से सीखा

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे. जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें. चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे.

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