नई दिल्ली। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि हमारे परिधान, हमारा पहनावा, हमारी पहचान से जुड़ा रहा है. देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी साथियों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों तक, मरुस्थल से लेकर समुद्री विस्तार और भारत के मैदानों तक, परिधानों का एक खूबसूरत इंद्रधनुष हमारे पास है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम में ये समय आजादी के लिए दिए गए हर बलिदान को याद करने का है. आज के दिन ‘स्वदेशी आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी. स्वदेशी का ये भाव सिर्फ विदेशी कपड़े के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि ये हमारी आर्थिक आजादी का बहुत बड़ा प्रेरक था. ये भारत के लोगों को अपने बुनकरों से भी जोड़ने का अभियान था.
उन्होंने साथ ही पिछले सरकारों पर हमला बोलते हुए कहा कि ये भी दुर्भाग्य रहा है कि जो वस्त्र उद्योग पिछली शताब्दियों में इतना ताकतवर था, उसे आजादी के बाद फिर से सशक्त करने पर उतना जोर नहीं दिया गया. हालात तो ये थी कि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था. लोग खादी पहनने वालों को हीन भावना से देखने लगे थे.
उन्होंने कहा कि 2014 से हमारी सरकार इस स्थिति और सोच को बदलने में जुटी है. आने वाले दिनों में रक्षाबंधन का पर्व आने वाला हैं, गणेश उत्सव आ रहा है, दशहरा, दीपावली, दुर्गापूजा… इन पर्वों पर हमें अपने स्वदेशी के संकल्प को दोहराना ही है.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत हर जिले में वहां के खास उत्पादों को प्रमोट किया जा रहा है. देश के रेलवे स्टेशनों पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष स्टॉल बनाए जा रहे हैं. हम अपने हैंडलूम, खादी, टेक्सटाइल सेक्टर को वर्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए सबका प्रयास जरूरी है. श्रमिक हो, बुनकर हो, डिजाइनर हो या इंड्रस्टी सबको एकनिष्ठ प्रयास करने होंगे.