शारदीय नवरात्रि कल से, इस समय तक ही है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि को बहुत महत्व दिया जाता है. लोग नवरात्रि भर उपवास रखते हैं और 9 दिन में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं.  हिंदी पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है और महानवमी के दिन समाप्त होती है. उसके अगले दिन विजय दशमी या दशहरा का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है. कैलेंडर के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होने जा रही है. तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण इस बार की नवरात्रि 8 दिनों की होगी. नवरात्रि व्रत का समापन 14 अक्टूबर को होगा. 15 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा.

 

शारदीय नवरात्रि 2021 पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त   समय

नवरात्रि में घट स्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के प्रथम दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना करके मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. जिन लोगों को 9 दिन का व्रत रखना होगा, उन्हें कलश स्थापना के साथ नवरात्रि व्रत एवं मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद व्रत व पूजा शुरू करना चाहिए.

 

इस बार कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त व समय केवल 50 मिनट का ही है. पंचांग के अनुसार घटस्थापना के लिए शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है. व्रती को इस शुभ मुहूर्त में ही कलश स्थापित कर लेना चाहिए.

नवरात्रि में माता रानी की पूजा में लगने वाली पूजन सामग्री

शारदीय नवरात्रि में माता रानी की पूजा के लिए- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी, आम के पत्ते, नारियल, दूर्वा, आसन, पांच मेवा, कमल गट्टा, लोबान, गुग्गुल, लौंग, हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र,  दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार रेशमी चुनरी, लाल चूड़ियां, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान आदि की जरूरत होती है.

 

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